राजस्थान चुनाव के नतीजों से सूबे के ब्राह्मण नेताओं की दमदार वापसी, लोकसभा चुनाव में बढ़ेगा दबदबा!

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: December 11, 2018 17:28 IST2018-12-11T17:23:58+5:302018-12-11T17:28:53+5:30

राजस्थान चुनावः कांग्रेस के ब्राह्मण नेता भंवरलाल शर्मा जीते, भावापा के घनश्याम तिवाड़ी हारे!

Brahmin Leaders come back with Rajasthan Assembly Results, Will play vital role in Loksabha | राजस्थान चुनाव के नतीजों से सूबे के ब्राह्मण नेताओं की दमदार वापसी, लोकसभा चुनाव में बढ़ेगा दबदबा!

राजस्थान चुनाव के नतीजों से सूबे के ब्राह्मण नेताओं की दमदार वापसी, लोकसभा चुनाव में बढ़ेगा दबदबा!

Highlightsराजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार ब्राह्मण नेताओं की बड़ी भूमिका थी।राजस्थान में करीब दस प्रतिशत ही ब्राह्मण होने के बावजूद सियासी प्रेरक वर्ग होने के कारण सियासी समीकरण में खास जगह रखते हैं।

राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार ब्राह्मण नेताओं की बड़ी भूमिका थी, क्योंकि शुरूआत से ही कांग्रेस के साथ खड़ा रहा ब्राह्मण मतदाता पिछले विधान सभा चुनाव में भाजपा की ओर चला गया था, जिसके नतीजे में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ था। वर्तमान आरक्षण व्यवस्था जारी रखते हुए सामान्य वर्ग के आर्थिकरूप से कमजोर युवाओं के लिए आर्थिक आधार पर आरक्षण का अभियान चलाने वाले राजस्थान ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष भंवरलाल शर्मा काफी हद तक सामान्य वर्ग को कांग्रेस के करीब लाने में कामयाब रहे हैं। शर्मा सरदार शहर से चुनाव जीत गए हैं।
 
जहां कांग्रेस में पूर्व कैबिनेट मंत्री भंवरलाल शर्मा, राजस्थान के प्रमुख ब्राह्मण नेता हैं, वहीं घनश्याम तिवाड़ी, भाजपा के प्रमुख ब्राह्मण नेता थे, लेकिन चुनाव से कुछ समय पहले वसुंधरा राजे के विरोध में उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी और अपनी नई पार्टी भावापा बना ली थी। घनश्याम तिवाड़ी सांगानेर से चुनाव हार गए हैं।
 
जहां भाजपा के पूर्व मंत्री अरूण चतुर्वेदी, जयपुर से, बीकानेर पश्चिम से गोपाल जोशी आदि चुनाव हार गए हैं, वहीं कांग्रेस नेता राजकुमार शर्मा, नवलगढ़, सीपी जोशी, नाथद्वारा, बीडी कल्ला, बीकानेर पश्चिम से, आदि चुनाव जीत गए हैं। अलबत्ता, उदयपुर जिले से कांग्रेस की बड़ी नेता पूर्व केन्द्रीय मंत्री गिरिजा व्यास चुनाव हार गईं हैं, जबकि मावली से भाजपा के धर्मनारायण जोशी चुनाव जीत गए हैं।

राजस्थान की राजनीति में ब्राह्मण नेताओं का शुरू से ही दबदबा रहा है। राजस्थान में करीब दस प्रतिशत ही ब्राह्मण होने के बावजूद सियासी प्रेरक वर्ग होने के कारण सियासी समीकरण में खास जगह रखते हैं। जाहिर है, कांग्रेस और भाजपा, दोनों ही दलों में अगले आम चुनाव के मद्देनजर ब्राह्मण नेताओं का महत्व बढ़ेगा।

Web Title: Brahmin Leaders come back with Rajasthan Assembly Results, Will play vital role in Loksabha

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