विवाहेत्तर सम्बन्ध पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी- पति-पत्नी दोनों पर है समान जिम्मेदारी

By रामदीप मिश्रा | Updated: August 2, 2018 13:58 IST2018-08-02T13:58:38+5:302018-08-02T13:58:38+5:30

याचिका में व्यभिचार से जुड़े प्रावधान को इस आधार पर निरस्त करने की मांग की गई है कि विवाहित महिला के साथ विवाहेतर यौन संबंध रखने के लिये सिर्फ पुरुषों को दंडित किया जाता है।

Both parties have to be equally responsible for their act says CJI on adultery provision in IPC | विवाहेत्तर सम्बन्ध पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी- पति-पत्नी दोनों पर है समान जिम्मेदारी

विवाहेत्तर सम्बन्ध पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी- पति-पत्नी दोनों पर है समान जिम्मेदारी

नई दिल्ली, 02 अगस्तः सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने व्यभिचार (अडल्ट्री) संबंधी एक याचिका सुनवाई करते हुए कहा गुरुवार को कहा है कि दोनों पार्टियां इस कार्य के लिए समान रूप से जिम्मेदार हैं। शीर्ष अदालत ने विवाह की पवित्रता की अवधारणा को माना, लेकिन कहा कि व्यभिचार संबंधी अपराध का कानून पहली नजर में समता के अधिकार का उल्लंघन करता है। 



बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में व्यभिचार के प्रावधान को निरस्त करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई बुधवार से शुरू कर दी।

दरअसल, याचिका में व्यभिचार से जुड़े प्रावधान को इस आधार पर निरस्त करने की मांग की गई है कि विवाहित महिला के साथ विवाहेतर यौन संबंध रखने के लिये सिर्फ पुरुषों को दंडित किया जाता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने बुधवार को कहा था कि वह महिलाओं के लिये भी इसे अपराध बनाने के लिये कानून को नहीं छुएगी।

पीठ ने कहा था कि हम इस बात की जांच करेंगे कि क्या अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) के आधार पर भारतीय दंड संहिता की धारा 497 अपराध की श्रेणी में बनी रहनी चाहिये या नहीं। संविधान पीठ में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा भी शामिल हैं।

आईपीसी की धारा 497 कहती है कि जो भी कोई ऐसी महिला के साथ, जो किसी अन्य पुरुष की पत्नी है और जिसका किसी अन्य पुरुष की पत्नी होना वह विश्वास पूर्वक जानता है, बिना उसके पति की सहमति या उपेक्षा के शारीरिक संबंध बनाता है जो कि बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता, वह व्यभिचार के अपराध का दोषी होगा और उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे पांच वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है या आर्थिक दंड या दोनों से दंडित किया जाएगा। ऐसे मामले में पत्नी दुष्प्रेरक के रूप में दण्डनीय नहीं होगी।
(भाषा इनपुट के साथ)

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Web Title: Both parties have to be equally responsible for their act says CJI on adultery provision in IPC

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