पत्नी और ढाई साल के बेटे के पालन-पोषण का दायित्व टाला नहीं जा सकता, हाईकोर्ट ने पति को फटकारा, जानें क्या है मामला
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 9, 2021 15:16 IST2021-03-09T15:15:35+5:302021-03-09T15:16:32+5:30
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने ने कहा कि पत्नी और बेटे के पालन-पोषण की जवाबदारी पति की है. पति इस दायित्व से मुकर नहीं सकता. इसके बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम निर्वाह भत्ता का आदेश बरकरार रखने का फैसला सुनाया.

तीन जनवरी 2020 को परिवार न्यायालय ने पत्नी को दो हजार रुपए प्रति महीना अंतरिम निर्वाह भत्ता मंजूर किया.
नागपुरः पत्नी और ढाई साल के बेटे के लिए मंजूर किए गए अंतरिम निर्वाह भत्ते पर आपत्ति जता रहे पति को बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने कड़ी फटकार लगाई है.
न्यायालय ने कहा कि पत्नी और बेटे के पालन-पोषण की जवाबदारी पति की है. पति इस दायित्व से मुकर नहीं सकता. इसके बाद हाईकोर्ट ने अंतरिम निर्वाह भत्ता का आदेश बरकरार रखने का फैसला सुनाया. इस मामले में न्यायमूर्ति विनय देशपांडे के समक्ष सुनवाई की गई. पत्नी ने खुद और बेटे को निर्वाह भत्ता हासिल करने के लिए नागपुर परिवार न्यायालय में याचिका दायर की है.
इसके अलावा उसने इस याचिका पर अंतिम फैसला होने तक अंतरिम निर्वाह भत्ता देने की मांग भी की थी. तीन जनवरी 2020 को परिवार न्यायालय ने पत्नी को दो हजार रुपए प्रति महीना अंतरिम निर्वाह भत्ता मंजूर किया. इसके खिलाफ पति ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इसमें उसने कहा कि परिवार न्यायालय ने बिना कोई ठोस कारण के यह विवादित आदेश दिया है.
उच्च न्यायालय ने पति के मुद्दों को अमान्य करते हुए कहा कि अंतरिम निर्वाह भत्ते के लिए ठोस कारणों की जरूरत नहीं है. परिवार न्यायालय ने पति से कहा कि पत्नी और बेटे को भुखमरी से बचने के लिए अंतरिम निर्वाह भत्ता दिया है. संबंधित दंपति का विवाह 21 फरवरी 2017 को हुआ था.
थाने में प्रताड़ना की शिकायत पत्नी ने पति द्वारा दहेज प्रताड़ना की शिकायत थाने में दी है. इस पर पति के विरुद्ध दर्ज किया गया है. इससे पति द्वारा पत्नी को प्रताडि़त किए जाने से वह मायके में रह रही है. पत्नी को 48 हजार उच्च न्यायालय ने पति की याचिका पर सुनवाई से पहले उसको न्यायालय में 48 हजार रुपए जमा करने का आदेश दिया था. इस पर पति ने वह रकम न्यायालय में जमा की थी. न्यायालय ने यह रकम पत्नी को दे दी.