नई दिल्ली, 4 जुलाई: दिल्ली का असली बॉस कौन इसपर सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में साफ कर दिया है लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार ही अहम है। यानी अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के लिए कोई भी फैसला करने से पहले एलजी की सहमती लेने की जरूरत नहीं है। इस फैसले का बीजेपी ने स्वागत किया है।
बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि संसद के पास कानून बनाने का अधिकार है। लेकिन आप पार्टी किस बात का जश्न मना रही है ये समझ के परे हैं। उन्होंने कहा, आज जिस प्रकार से भारत के सुप्रीम कोर्ट ने संविधान को अपहोल्ड किया है और अराजकता के खिलाफ अपना निर्णय दिया है, यह एक खुशी का विषय है।
संबित पात्रा ने आगे कहा, दिल्ली में पिछले कुछ सालों से जैसा माहौल है, इसके पीछे पापा का अधिकारी कौन है। अगर आप अपने अधिकारियों की बेईजज्ती करेंगे, रात को 12 बजे बुलाकर थप्पड़ मारेंगे, तो तालमेल कहां से बैठेगा। आप पार्टी बहाना बनाकर काम नहीं करती है। अब दिल्ली की जनता आप से चाहेगी कि वह काम करें, बहानेबाजी नहीं। धरना नहीं अरविंद जी आपको करना है।
वहीं अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करते हुए कहा है, 'यदि मोदी सरकार ने निर्वाचित सरकार के अवैध आदेशों की शक्तियों को वापस नहीं लिया होता तो तीन साल दिल्ली की सरकार चिंता के बाजए सुचारू रूप से काम करती। दिल्ली के लोग न्यायपालिका के लिए आभारी हैं। आज का आदेश न्यायपालिका में लोगों के विश्वास को मजबूत करता है।'
सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा है कि कैबिनेट के हर फैसले की जानकारी LG को होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और LG को एक साथ तालमेल बिठा कर सरकार चलाने का सुझाव भी दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कर दिया है कि चुनी हुई सरकार के काम में एलजी बाधा नहीं डाल सकते। दिल्ली को पूर्ण राज्य देने के मामले में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिलेगा। एलजी ही दिल्ली के प्रसाशक हैं, लेकिन जनमत का महत्व है।
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