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अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा मुगलसराय जंक्शन, अमित शाह ने किया लोकार्पण

By स्वाति सिंह | Updated: August 5, 2018 17:39 IST

इस कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल भी मौजूद रहे।

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पटना, 5 अगस्त: बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को मुगलसराय रेलवे स्टेशन के नए नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन का लोकार्पण किया। इस कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय मंत्री पियूष गोयल भी मौजूद रहे। कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा 'आज इस जगह को इसकी नई पहचान पं दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन के रूप में मिली है।

वहीं अमित शाह ने कहा 'आज पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की स्मृति के रूप में मुगलसराय में यह जो नए विकास कार्यों की शुरुआत हुई है इसके लिए मैं यूपी योगी और मोदी सरकार का हार्दिक शुक्रिया अदा करता हूं।' उन्होंने कहा 'आज योगी जी की सरकार में यूपी में माफिया राज पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। 

बता दें कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय का शव 11 फरवरी 1968 को मुगलसराय स्टेशन के यार्ड में ही संदिग्ध परिस्तिथियों में मिला था, जिसके बाद कई तमाम जांचें की गईं और उसके बाद आज भी पंडित दीनदयाल उपाध्याय की मौत की असली वजह सामने नहीं आ पाई। ऐसे में बीजेपी पंडित दीनदयाल उपाध्याय को श्रद्धांजलि देने के लिए इस जगह का नाम बदलर उनके नाम पर रखना चाहती थी। 

ये है मुगलसराय का इतिहास मुगलकाल में शेरशाह सूरी ने इस जिले में दो सराय बनवाए थे, एक अलीनगर और दूसरा गल्ला मंडी के पास और यही हो गया मुगलसराय। कहते हैं जब 18वीं शताब्दी में अंग्रेज अफसर मिस्टर ओवन आए तो उनके आने के बाद इसका नाम बदलकर ओवेनगंज रखा, लेकिन मान्यता इसको सराय और मुगलों के नाम से मिली। इसके बाद लॉर्ड एल्गिन के समय में 1862 में मुगलसराय से दानापुर तक रेल लाइन पहली बार बिछाई गई और फिर बाद में 1 जनवरी 1864 को  मुगलसराय से मिर्जापुर के बीच रेलवे की सुविधा शुरू की गई थी। मुगलसराय स्टेशन में ही एशिया की सबसे बड़ी यार्ड है।

हुमायूं के शासन में बना रेलवे स्टेशन कहते हैं 1555 में हुमायूं के शासनकाल के समय शेरशाह सूरी ने यहां पर दो सराय बनवाए थे। ये सराय सेना के ठहरने के लिए बनवाए गए थे, जिसको बाद में मुगलसराय नाम मिल गया और इसी के आधार पर बाद में स्टेशन को भी ये नाम मिला। कहते हैं फिर बाद में शेरशाह सूरी के बादशाह बनने पर इस जगह की चारों ओर प्रतिष्ठा बढ़ी।  

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