यूपी में भाजपा ने कर दिया खेल, मायावती को लगा तगड़ा झटका, बसपा के लोकसभा सांसद रितेश पांडे ने थामा भाजपा का दामन
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: February 26, 2024 09:13 AM2024-02-26T09:13:09+5:302024-02-26T09:17:03+5:30
बसपा प्रमुख मायावती को बड़ा झटका देते हुए अंबेडकरनगर से लोकसभा सांसद रितेश पांडे ने रविवार को भाजपा का दामन थाम लिया।
लखनऊ: बसपा प्रमुख मायावती को बड़ा झटका देते हुए अंबेडकरनगर से लोकसभा सांसद रितेश पांडे ने रविवार को भाजपा का दामन थाम लिया। लोकसभा चुनाव के पहले डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की मौजूदगी में कमल का झंडा उठाने वाले लोकसभा सांसद राकेश पांडे के अलावा मायावती की पार्टी के लगभग तीन और सांसदों के अलग-अलग दलों में जाने के कयास लग रहे हैं।
समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और यूपी चुनाव प्रभारी बैजयंत 'जय' पांडा, यूपी बीजेपी प्रमुख भूपेन्द्र चौधरी और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक की मौजूदगी में दिल्ली में बीजेपी में शामिल हुए राकेश पांडे ने बीएसपी प्रमुख से आग्रह किया कि वो बसपा से उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लें।
अपने इस्तीफे में राकेश पांडे ने मायावती को कहा“लंबे समय से न तो मुझे पार्टी की बैठकों में भाग लेने के लिए बुलाया जा रहा है और न ही पार्टी नेतृत्व ने मुझसे बात की है। मैंने आपसे (मायावती) और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क करने और मिलने के कई प्रयास किए लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला। इससे निष्कर्ष निकलता है कि अब पार्टी को मेरी सेवा और उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है।''
मालूम हो कि रितेश सपा विधायक राकेश पांडे के बेटे हैं। उनका इस्तीफा सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा अपनी पार्टी के विधायक लालजी वर्मा को अंबेडकरनगर से पार्टी का उम्मीदवार घोषित करने के कुछ दिनों बाद आया है।
राकेश पांडे भाजाप में उस समय शामिल हुए हैं, जब बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची को अंतिम रूप दे दिया है, विशेष रूप से उन 16 सीटों के लिए जो वह 2019 में एसपी-बीएसपी गठबंधन से हार गई थी। बीजेपी मार्च के दूसरे सप्ताह में चुनाव अधिसूचना जारी होने के आसपास ही भाजपा प्रत्याशियों की सूची की घोषणा कर सकती है।
भाजपा में राकेश पांडे का स्वागत करते हुए यूपी भाजपा के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि विपक्षी दलों के नेता जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में उनकी हार आसन्न है। इसलिए विपक्षी नेता सुरक्षित सीटों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि बसपा सांसदों को इस बात की आशंका है कि इस लोकसभा चुनाव में मुकाबला सीधे एनडीए और सपा-कांग्रेस के बीच में बदल जाएगा। एक विश्लेषक ने कहा, "एनडीए और एसपी-कांग्रेस गठबंधन के बीच मतदाताओं का ध्रुवीकरण होने की उम्मीद है, जिससे बीएसपी उम्मीदवारों को फायदा होने की बहुत कम संभावना है।"
वहीं मायावती ने बार-बार कहा है कि बसपा लोकसभा चुनाव अकेले चुनाव लड़ेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि बसपा किसी भी ऐसे राजनीतिक गठन के साथ गठबंधन करने से सावधान रही है, जो यूपी में एसपी या कांग्रेस को मदद दे सकते हैं।
बसपा ने 2019 का चुनाव सपा के साथ गठबंधन में लड़ा और 10 सीटें जीतीं लेकिन बाद में मायावती ने सपा से नाता तोड़ लिया था। इस बार गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के भाई और गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी सपा में शामिल हो गए हैं और उन्हें उसी निर्वाचन क्षेत्र से टिकट मिला है।
इसी तरह, अमरोहा के बसपा सांसद कुंवर दानिश अली हैं, जिन्हें "पार्टी विरोधी" गतिविधियों के आरोप में मायावती ने निलंबित कर दिया था, उनके कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। वहीं बसपा के एक अन्य सांसद, जौनपुर से श्याम सिंह यादव रविवार को आगरा में राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल हुए थे, उसके बाद से श्याम सिंह यादव के भी बसपा छोड़ने के कयास लग रहे हैं।