केंद्र और राज्य सरकारों को वरुण गांधी ने दी सलाह, कहा- जीएसटी का एक जनहितकारी प्रारूप करना होगा तैयार
By मनाली रस्तोगी | Published: July 20, 2022 11:06 AM2022-07-20T11:06:45+5:302022-07-20T11:07:54+5:30
फिरोज वरुण गांधी एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, और पीलीभीत निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए तीसरी बार संसद सदस्य हैं। वह भारतीय जनता पार्टी के सदस्य भी हैं और मार्च 2012 में उन्हें राजनाथ सिंह की टीम में महासचिव के रूप में शामिल किया गया था।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में पीलीभीत से भारतीय जनता पार्टी के सांसद वरुण गांधी को बीते लंबे समय से आमजन के सवालों को उठाने और अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए देखा गया है। इसी क्रम में बुधवार को उन्होंने वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। ये पहला मौका नहीं है जब जीएसटी को लेकर अपनी सरकार पर तंज कसा हो।
दूध, आटा, दाल, चावल आदि जैसी वस्तुओं पर GST लागू हो चुका है।
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 20, 2022
शराब, पेट्रोल और डीजल आदि पर नहीं..!
अगर इस टैक्स प्रणाली का सारा बोझ आम जनता ही वहन करेगी तो इसे लाने का मूल उद्देश्य ही पीछे छूट जाएगा।
केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर GST का एक जनहितकारी प्रारूप तैयार करना होगा।
उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा, "दूध, आटा, दाल, चावल आदि जैसी वस्तुओं पर जीएसटी लागू हो चुका है। शराब, पेट्रोल और डीजल आदि पर नहीं...! अगर इस टैक्स प्रणाली का सारा बोझ आम जनता ही वहन करेगी तो इसे लाने का मूल उद्देश्य ही पीछे छूट जाएगा। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर जीएसटी का एक जनहितकारी प्रारूप तैयार करना होगा।"
आज से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर GST लागू है।
— Varun Gandhi (@varungandhi80) July 18, 2022
रिकार्डतोड़ बेरोजगारी के बीच लिया गया यह फैसला मध्यमवर्गीय परिवारों और विशेषकर किराए के मकानों में रहने वाले संघर्षरत युवाओं की जेबें और हल्की कर देगा।
जब ‘राहत’ देने का वक्त था, तब हम ‘आहत’ कर रहे हैं।
बता दें कि इससे पहले वरुण गांधी ने वस्तु एवं सेवा कर को लेकर केंद्र सरकार को घेरा था। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा था, "आज से दूध, दही, मक्खन, चावल, दाल, ब्रेड जैसे पैक्ड उत्पादों पर जीएसटी लागू है। रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी के बीच लिया गया यह फैसला मध्यमवर्गीय परिवारों और विशेषकर किराए के मकानों में रहने वाले संघर्षरत युवाओं की जेबें और हल्की कर देगा। जब 'राहत' देने का वक्त था, तब हम 'आहत' कर रहे हैं।"