कोलकाता, 30 जनवरी केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में मतुआ समुदाय के गढ़ ठाकुरनगर की यात्रा रद्द कर दी। इसके बाद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं कैलाश विजयवर्गीय और मुकुल रॉय ने समुदाय के सदस्यों से मुलाकात की और उन्हें आश्वासन दिया कि शाह ''बहुत जल्द'' सभा करके उन्हें संबोधित करेंगे।
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विजयर्गीय और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रॉय ने पार्टी सांसद शांतनु ठाकुर के साथ लगभग एक घंटे तक बैठक की।
उन्होंने समुदाय के सदस्यों से कहा कि दिल्ली में अचानक बदले घटनाक्रम के चलते शाह को ठाकुरनगर की अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी है और वह ''बहुत जल्द'' यहां की यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि शाह राज्य की अपनी अगली यात्रा के दौरान मतुआ समुदाय को संबोधित करेंगे।
शाह को शनिवार को दो दिवसीय यात्रा पर पश्चिम बंगाल आना था लेकिन दिल्ली में इजराइली दूतावास के बाहर हुए धमाके बाद अंतिम समय में दौरा रद्द कर दिया गया।
पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय की आबादी करीब 30 लाख है, जो राज्य की नदिया और उत्तर तथा दक्षिण 24 परगना की कम से कम 60 सीटों पर चुनाव का रुख मोड़ सकती है।
बाद में रॉय ने कहा, ''अमित शाह ने आने वाले दिनों में प्रस्तावित सभा आयोजित करने के लेकर शांतनु ठाकुर से फोन पर बात की है और आयोजकों से कहा है कि वे सभा के लिये लगाए गए मंच को हटाएं नहीं।''
इस बीच बांग्लादेश सीमा के निकट बस्तियों में रहने वाले मतुआ समुदाय के लोग सभास्थल पर एकत्र हो गए। बाद में कार्यक्रम में बदलाव से वे परेशान दिखे और वहां से चले गए।
समुदाय के एक सदस्य ने कहा, ''शाह दिल्ली में चल रहे घटनाक्रमों के चलते नहीं आ सके। वह बहुत व्यस्त व्यक्ति हैं। हम उनकी प्रतीक्षा करेंगे।''
दूसरी ओर तृणमूल कांग्रेस की पूर्व सांसद ममताबाला ठाकुर ने कहा कि निर्धारित यात्रा रद्द करना यह दर्शाता है कि शाह के पास नागरिकता के मुद्दे पर मतुआ समुदाय को देने के लिये कुछ खास नहीं है।
मतुआ समुदाय के लोग मूल रूप से तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांगलादेश से संबंध रखते हैं। 1950 की शुरुआत से वे मुख्य रूप से धार्मिक प्रताड़ना के चलते पश्चिम बंगाल आना शुरू हो गए थे।
टीएमसी के वरिष्ठ नेता सुब्रत मुखर्जी ने दावा किया किया कि भाजपा मतुआ समुदाय से झूठे वादे कर रही है।
उन्होंने भाजपा द्वारा मतुआ समुदाय को नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अतीत में दिये गए आश्वासनों की ओर इशारा करते हुए कहा, ''बंगाल में मतुआ समुदाय के लोगों को पास हमेशा से नागरिकता रही है और वे हमें वोट देते रहे हैं।''
मुखर्जी ने कहा, ''जो पहले से ही नागरिक हैं, आप उन्हें नागरिकता कैसे दे सकते है? जिनके पास राशन कार्ड हैं वे नागरिक हैं।
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