बीजेपी आलाकमान का अपने नेताओं को निर्देश, उद्धव और शिवसेना नेताओं पर न करें 'प्रहार'
By हरीश गुप्ता | Updated: November 15, 2019 08:02 IST2019-11-15T08:02:18+5:302019-11-15T08:02:18+5:30
BJP High command: बीजेपी आलाकमान ने महाराष्ट्र के वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए अपने नेताओं को दिए शिवसेना नेताओं पर हमले न करने के निर्देश

बीजेपी आलाकमान ने अपने नेताओं को शिवसेना पर हमले न करने को कहा
हरीश गुप्ता नई दिल्ली। भाजपा आलाकमान ने अपने केन्द्रीय नेताओं, मंत्रियों और प्रवक्ताओं को कड़े निर्देश दिए हैं कि वह शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे और उनके पुत्र तथा अन्य की व्यक्तिगत आलोचना न करें।
भाजपा नेतृत्व ने यह फैसला प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन के लिए रवाना होने के पूर्व उनके साथ गृह मंत्री अमित शाहऔर पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जयप्रकाश नड्डा की अनौपचारिक बैठक में लिया।
यह तय किया गया कि अमित शाह इस मसले पर बोलेंगे और टीवी चैनलों के मार्फत पार्टी का पक्ष रखेंगे। बुधवार को जब शाह ने महाराष्ट्र के मामले में अपनी चुप्पी तोड़ी तो इसी के अनुरूप सधे शब्दों में टिप्पणी की।
भाजपा के लिए अपने सबसे पुराने और विचारधारा के हिसाब से सबसे करीबी सहयोगी का संबंध विच्छेद निराशाजनक और हतोत्साहित करने वाला है, वह इसे पचा नहीं पा रही है।
महाराष्ट्र के राजनीतिक हालात पर करीब से नजर बनाए रखेगी बीजेपी
पार्टी के तीनों शीर्ष नेताओं ने तय किया कि भाजपा एक सुरक्षित दूरी बनाए रखते हुए राकांपा एवं कांग्रेस के साथ शिवसेना की सत्ता के लिए पक रही खिचड़ी पर नजर रखे और अगले कुछ महीने में दिखने वाली आशा की किरण की प्रतीक्षा करे। भाजपा इस महाराष्ट्र जैसे राज्य में जीतने के बावजूद अपनी सरकार नहीं बना पाने पर दुखी है।
इस मामले में शरद पवार ने भी अपने पत्ते सही खेले और सोनिया गांधी को वैचारिक स्तर पर अपनी कट्टर विरोधी पार्टी का विरोध करने की रणनीति बदल कर उसका सीएम बनना स्वीकार करने को राजी कर लिया।
राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों से हैरत में आई भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व अब इसके कारण होने वाले असर को लेकर आशान्वित है। पार्टी की कट्टरवादी विचारधारा के समर्थक नेता इस बात से प्रसन्न हैं कि बदली परिस्थितियों में शिवसेना की रवानगी के बाद उनकी पार्टी हिंदुत्व के पक्ष में खड़ी एकमेव पार्टी के रूप में उभरकर सामने आ रही है।
भविष्य में उसे इसका फायदा मिलेगा। भाजपा नेतृत्व इस पर भी निगाह रखे हुए है कि कांग्रेस के साथ जाकर शिवसेना किस प्रकार अपने आक्रामक हिंदुत्व एजेंडा को आगे बढ़ा पाएगी। वह इसी को लेकर ही तो जन्मी थी।