कर्नाटक स्पेशलः ओपीनियन पोल छोड़िए, इस वजह से कर्नाटक हार सकती है BJP!
By खबरीलाल जनार्दन | Published: May 11, 2018 02:02 PM2018-05-11T14:02:57+5:302018-05-11T14:44:07+5:30
कर्नाटक में 12 मई को मतदान और 15 मई को चुनाव परिणाम आने वाले हैं।
बंगलुरु, 11 मईः भारतीय जनता पार्टी बीते चार सालों के ऐतिहासिक प्रदर्शन में अपनी गलतियां दोहराती नजर नहीं आती। लेकिन कर्नाटक में चाहे गलती से या मजबूरी में बीजेपी को अहितकारी कदम उठाना पड़ा है। हालिया चुनावों में हमने देखा बीजेपी बहुत सावधानी से ऐसे कदम उठाने से बच रही थी। यह कदम है, विधानसभा चुनावों से पहले मुख्यमंत्री उम्मदवार के नाम की घोषणा। बीजेपी ने कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा को सीएम पद का उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस चुनाव प्रचार के दौरान सबसे ज्यादा इसी बात पर प्रहार किया कि येदियुरप्पा वही शख्स हैं जिन पर 23 भ्रष्टाचार के मामले चल रहे हैं।
साल 2014, चार राज्यों में जीती बीजेपी, एक में भी सीएम कैंडिडेट की घोषणा नहीं
साल 2014 में चार राज्यों में विधानसभा चुनाव थे, हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और जम्मू कश्मीर। सभी राज्य बीजेपी खाते में आए थे। जम्मू कश्मीर में वे महबूबा मुफ्ती के साथ सरकार बनाए थे बाकी तीन राज्यों में बीजेपी की सरकार बनी थी। जरा याद कीजिए, बीजेपी इन चारों राज्यों में अपने सीएम कैंडिडेट को लेकर कोई बात नहीं की थी।
साल 2015, सीएम कैंडिडेट घोषित करने पर हुई थी करारी हार
बीजेपी ने मोदी सरकार के रहते हुए सबसे बुरी तरह अगर कोई विधानसभा चुनाव हारा है तो वह है केंद्र शासित और मोदी के नाक के नीचे दिल्ली चुनाव। जरा याद कीजिए, बीजेपी चुनावों के ऐन पहले अपना सीएम कैंडिडेट लेकर आई थी, किरण बेदी। इसके बाद बीजेपी 70 सीटों में 3 पर सिमट गई। जबकि 2013 दिसंबर में हुए चुनावों में बीजेपी के पास 32 सीटें थीं। (जरूर पढ़ेंः कर्नाटक चुनाव: "मिशन 150" से 130 सीटों पर क्यों आ गए बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह?)
इसके अलावा बिहार में भी इस साल चुनाव हुए थे। दिल्ली से सबक लेकर बीजेपी ने यहां कोई सीएम कैंडिडेट नहीं उतारा। शुरुआती दौर में भले बीजेपी को यहां से निराशा हुई। लेकिन फिलहाल बीजेपी जनता दल (यूनाइटेड) के साथ सत्ता में है।
साल 2016, इसी इतिहास को दोहराना चाहेगी बीजेपी
साल 2016 में पांच विधानसभा चुनाव हुए, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल, पांडिचेरी और असम। इनमें चार में बीजेपी आज अपनी जमीन तलाश रही है। इसलिए यहां सीएम कैंडिडेट घोषित करने के अवसर ही नहीं लगे।
लेकिन असम में बीजेपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी और चुनाव से पहले सीएम कैंडिडेट सरबनंदा सोनोवाल की घोषणा की थी। बीजेपी इसी इतिहास को फिर से दोहराने की ताक में होगी। लेकिन इसके बाद फिर से बीजेपी ने इस रास्ते से मुंह मोड़ लिया था।
साल 2017, 7 राज्यों में चुनाव और बीजेपी ने नहीं घोषित किए एक भी सीएम कैंडिडेट
साल 2017 विधानसभा चुनावों की दृष्टि से सबसे अहम साल रहा। इस साल में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, गोवा, मणिपुर और पंजाब में चुनाव हुए। इनमें बीजेपी ने ऐतिहासिक प्रदर्शन करते हुए छह राज्यों में जीत दर्ज की। लेकिन पहले से बीजेपी ने इनमें से किसी भी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार चुनाव पहले नहीं चुना। बीजेपी हमेशा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री का चुनाव किया। (जरूर पढ़ेंः सिद्धारमैया ने यूं ही नहीं खेला है बादामी दांव, उन्हें याद है 29 साल पहले का वो दिन)
जबकि बाद में चुने गए मुख्यमंत्रियों की फेरहिसत देखें तो पाएंगे कि बीजेपी पहले ही तय कर चुकी थी अपने सीएम पर उसने गुजारात में विजय रुपाणी और गोवा में मनोहर पर्रिकर व यूपी में योगी के नामों की पहले ही घोषणा नहीं की।
साल 2018, त्रिपुरा में ऐतिहासिक जीत लेकिन सीएम कैंडिडेट नहीं
मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड तीनों ही जगहों पर बीजेपी या उसके गठबंधन वाली सरकारें हैं। इनमें से त्रिपुरा में एक ऐतिहासक राज्य भी बीजेपी के खाते में आया। यहां बिप्लब देव को सीएम बनाया गया लेकिन जीत के बाद जबकि बीजेपी उनके नाम को लेकर तय थी पर घोषणा नहीं।