'साजिशी रणनीति' बनाने के लिये हुईं भाजपा और संघ की बैठकें: अखिलेश
By भाषा | Published: July 19, 2021 01:31 AM2021-07-19T01:31:17+5:302021-07-19T01:31:17+5:30
लखनऊ, 18 जुलाई समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव में पराजय से आशंकित सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने 'साजिशी रणनीति' बनाने के लिये हाल में चित्रकूट समेत कई जिलों में बैठकें की थीं।
अखिलेश ने यहां एक बयान में कहा ''जनता के सत्तारुढ़ भाजपा सरकार के प्रति गहराते असंतोष से पार्टी शीर्ष नेतृत्व भलीभांति परिचित हो गया है। आगामी विधानसभा चुनाव में उसके हाथ से सत्ता फिसलता देख हताश-निराश भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की एक माह में चित्रकूट, वृंदावन और लखनऊ में बैठकें हुई हैं। इन बैठकों का एजेण्डा साजिशी रणनीति बनाना है ताकि किसानों और करोड़ों बेरोजगार नौजवानों से किए गए वादों को किसी तरह भुलाया जा सके और लोगों को बहकाने के लिए नये-नये तरीके ढ़ूंढे जाएं।''
उन्होंने कहा कि भाजपा के पास अपनी उपलब्धि के नाम पर गिनाने के लिए कुछ भी नहीं है और भाजपा का मातृ संगठन यानी संघ इन हालात से चिंतित है और लगातार चिंतन-मनन में जुटा है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2017 में झूठे वादे करके सत्ता हथियाने वाली भाजपा के वादों की भूलभुलैया जब बेनकाब होने लगी है तो भाजपा के साथ राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की चित्रकूट और वृंदावन में पांच-पांच दिन की कार्यशाला के बाद लखनऊ में मैराथन बैठकों से जाहिर हो गया है कि डोर तो संघ के पास है और भाजपा उसकी कठपुतली है। यादव ने कहा कि इन दोनों के चंगुल से लोकतंत्र को मुक्त कराने का काम समाजवादी पार्टी ही कर सकती है।
अखिलेश ने कहा कि, ‘‘ भाजपा सरकार और संघ की सक्रियता के चलते प्रदेश की अस्मिता को भी खतरा है। भारत का शासन संविधान से चलता है पर संघ-भाजपा अपना नया संविधान थोपना चाहते हैं।’’
अखिलेश यादव के बयान पर पलटवार करते हुए भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने कहा है कि “लगातार हार और जनता से नकारे जाने के बाद भी सपा प्रमुख को यह समझ में नहीं आ रहा कि जनता किसे काम करने के लिए जनादेश दे रही है और किसे घर बैठने के लिए।”
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि “संघ की बैठकों व कार्यप्रणाली पर सपा मुखिया का सवाल उठाना हास्यास्पद है। कोई भी सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन हो या राजनीतिक दल बैठक, मंथन, समीक्षा, सुधार व अभियान उसके विकास की अहम कड़ी है, जिससे कार्यकर्ता निर्माण होता है, लेकिन सपा प्रमुख पार्टी नहीं परिवार प्राइवेट लिमिटेड चलाते हैं।”
उन्होंने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा कि “परिवार ही पार्टी है और घर-घराना के हिस्से ही पद है। वहां संवाद व समीक्षा की संस्कृति ही नहीं है, केवल परिवार से फरमान जारी होता है, ऐसे में उन्हें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की समझ कहां होगी।
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