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महात्मा गांधी की जयंतीः 84 साल पहले दिए भाषण की मुद्रित प्रतियां मिलीं, जानिए सबकुछ

By भाषा | Updated: October 2, 2020 18:32 IST

‘‘हम बापू कुटीर में एक वक्त में बस पांच व्यक्तियों को इजाजत दे रहे हैं। आंगुतकों को राज्य सरकार के कोविड-19 नियमों का पालन करना होगा।’’ इस साल आश्रम प्रबंधन ने महात्मा गांधी द्वारा सेवाग्राम में पहली बार 30 अप्रैल, 1936 को आने पर दिये गये भाषण की प्रतियां छपवायीं।

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ठळक मुद्दे बापू कुटीर एक ऐसी छोटी कुटिया है जहां महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महाराष्ट्र के वर्धा के सेवाग्राम में रहते थे।अब यह पर्यटकों का आर्कषण केंद्र बन गया है और इस स्थान पर नियमित रूप से गांधीवादी आते रहते हैं।यह समारोह सुबह करीब 11 बजे ‘हम भारत के लोग‘ नामक समूह ने आयोजित किया था।

वर्धाः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती पर शुक्रवार को यहां बापू कुटीर में आंगुतकों को महात्मा गांधी द्वारा 84 साल पहले दिये गये भाषण की मुद्रित प्रतियां बांटी गयीं। बापू कुटीर एक ऐसी छोटी कुटिया है जहां महात्मा गांधी स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महाराष्ट्र के वर्धा के सेवाग्राम में रहते थे।

अब यह पर्यटकों का आर्कषण केंद्र बन गया है और इस स्थान पर नियमित रूप से गांधीवादी आते रहते हैं। कोविड-19 महामारी के चलते मार्च के अंतिम सप्ताह से ही बंद इस स्थान को महात्मा गांधी की 151वीं जयंती के मौके पर आंगुतकों के लिए खोला गया है। हर साल सेवाग्राम आश्रम प्रतिष्ठान गांधी जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम करता है लेकिन इस बार महामारी के कारण किसी को आमंत्रित नहीं किया गया है और सादा कार्यक्रम रखा गया है।

हालांकि आश्रम प्रबंधन ने शुक्रवार को बापू कुटीर को आंगुतकों के लिए खोलने का निर्णय लिया। आश्रम के सचिव मुकुंद म्हास्के ने कहा, ‘‘हम बापू कुटीर में एक वक्त में बस पांच व्यक्तियों को इजाजत दे रहे हैं। आंगुतकों को राज्य सरकार के कोविड-19 नियमों का पालन करना होगा।’’ इस साल आश्रम प्रबंधन ने महात्मा गांधी द्वारा सेवाग्राम में पहली बार 30 अप्रैल, 1936 को आने पर दिये गये भाषण की प्रतियां छपवायीं। उन दिनों यह शेगांव नाम से जाना जाता था और बाद में उसका नाम बदलकर सेवाग्राम कर दिया गया।

मुंबई : गांधी जयंती पर लोकतंत्र बचाने के लिए जमा हुए लोग

दक्षिण मुंबई स्थित महाराष्ट्र सरकार के सचिवालय के नजदीक स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा के समक्ष शुक्रवार को उनकी जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह समारोह सुबह करीब 11 बजे ‘हम भारत के लोग‘ नामक समूह ने आयोजित किया था।

संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य फिरोज मीठीबोरवाला ने कहा कि ऐसे समय ‘‘जब देश में अघोषित आपातकाल लागू है’’ तब यह कार्यक्रम ‘‘लोकतंत्र बचाने’’ और ‘‘संविधान का सम्मान’’ रेखांकित करने के लिए आयोजित किया गया।

उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में अन्य संगठनों के सदस्यों ने भी हिस्सा लिया और इस दौरान कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी के नियम का अनुपालन किया गया। उन्होंने बताया कि कम से कम तीन लोगों को पोस्टर और तख्ती दिखाने की वजह से पुलिस ने हिरासत में लिया। बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।

गूगल ने महात्मा गांधी से प्रेरित पोस्टकार्ड की आनलाइन प्रदर्शनी शुरू की

महात्मा गांधी की 151 वीं जयंती पर उनकी शिक्षाओं से प्रेरित होकर, गूगल कला एवं संस्कृति ने शुक्रवार को एक ऑनलाइन प्रदर्शनी ‘बी द वॉयसेस ऑफ़ चेंज वाया पोस्टकार्ड्स (पोस्टकार्ड के माध्यम से बदलाव की आवाज बनिए)’ शुरू की। इस आनलाइन प्रदर्शनी का आयोजन कोच्चि स्थित गैर-लाभकारी ‘लेटरफार्म्स’ के सहयोग से किया गया है। इसका उद्देश्य हाथ से तैयार पोस्टकार्ड पर लिखे या पेंट किए गए संदेशों के माध्यम से लोगों को बदलाव के लिए प्रेरित करना है।

इस प्रदर्शनी में प्रदर्शित पोस्टकार्ड द्वारा आम नागरिकों के ‘‘परिवर्तनकारी विचारों’’ को चित्रित किया गया है। इन पोस्टकार्ड को ‘लेटरफार्म्स’ द्वारा राष्ट्रव्यापी ‘चेंज 150’ सामुदायिक कला परियोजना के माध्यम से चुना गया है। प्रदर्शनी में राष्ट्रीय महत्व के विषयों जैसे ‘समानता’, 'शिक्षा', 'राष्ट्र', 'शासन', 'स्वास्थ्य', 'सामुदायिक कार्रवाई', 'महिला सशक्तीकरण', 'पर्यावरण' , 'अधिकार' और 'मानवता' पर चीजें प्रदर्शित की गई हैं। गूगल कला एवं संस्कृति दो अक्टूबर से अगले नौ सप्ताह प्रत्येक शुक्रवार को एक प्रदर्शनी शुरू करेगी।

इस योजना के तहत पहली प्रदर्शनी गांधी जयंती पर बॉक्सिंग चैंपियन मैरी कॉम द्वारा ‘‘समानता’’ विषय पर शुरू की जाएगी। ‘लेटरफार्म्स’ के सह-संस्थापक साजी मैथ्यू ने कहा, ‘‘पोस्टकार्ड पर हस्तलिखित परिवर्तनकारी विचार भविष्य में हमारे समाज एवं हमारे देश के लिए भारत के लोगों द्वारा अपनी दृष्टि को स्पष्ट करने वाले सामूहिक आवाजों से कम नहीं हैं। यह जाति, पंथ, संस्कृति और आर्थिक स्थिति से परे सामान्य भारतीय से आते हैं।’’ 

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