कोरोना संकट के बीच बिहार में फैला बर्ड फ्लू का डर, पशुपालन विभाग के आदेश के बाद मुर्गा-मुर्गियों को दफनाया गया
By स्वाति सिंह | Published: March 28, 2020 12:35 PM2020-03-28T12:35:43+5:302020-03-28T12:35:43+5:30
बिहार की राजधानी पटना में बीते कई दिनों से लगातार मरे कौए मिल रहे हैं, इन्हें बर्ड फ्लू होने का संदेह है। मरे कौए के रक्त के नमूने कोलकाता सेंट्रल लैब में जांच के लिए भेज दिए गए थे।
पटना: कोरोना वायरस के संक्रमण से जारी जंग के बीच बिहार में बर्ड फ्लू और स्वाइन फ्लू ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। इस खतरे को देखते हुए आम लोग और भी ज्यादा दहशतजदा हो गये हैं। इसी बीच बिहार पशुपालन विभाग ने शुक्रवार को राज्य में सभी मुर्गे को मारने का आदेश दिया।
पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान की ओर से भेजे गये मरी मुर्गियों के नमूने में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद अब संबंधिक क्षेत्र के एक किमी में मुर्गियों को मारने का काम शुरू कर दिया गया है। बता दें कि बीते दिनों पटना के कंकड़बाग के अशोक नगर रोड-14 के नजदीक एक पोल्ट्री फार्म और नालंदा के कतरीसराय सैदपुर पोल्ट्री फार्म मरे मुर्गियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई।
बता दें कि बीते कई दिनों से राजधानी पटना में लगातार मरे कौए मिल रहे हैं, इन्हें बर्ड फ्लू होने का संदेह है। मरे कौए के रक्त के नमूने कोलकाता सेंट्रल लैब में जांच के लिए भेज दिए गए थे।
इससे पहले केरल में बर्ड फ्लू फैलने के खतरे को लेकर सरकार एक्शन में आई थी। पिनराई सरकार ने फ्लू के केंद्र से एक किलोमीटर तक के इलाके के सभी मुर्गा-मुर्गियों को मारने का आदेश दिया था। यह फ्लू पैरापनानगड़ी में मिला है। पलथींगल में बर्ड फ्लू फैलने के बाद आसपास एक किलोमीटर तक के क्षेत्र में विशेष रूप से प्रशिक्षित दस दल आज से मुर्गियों को मारने और संक्रमण मुक्त करने का काम करेंगे। बर्ड फ्लू से प्रभावित सभी एक किमी के दायरे में पोल्ट्री फार्म को हटाने के लिए 10 स्पेशल स्क्वाड को तैनात किया गया।
वहीं, मलप्पुरम रानी ओम्मेन के पशुपालन अधिकारी (एएचओ) का कहना था कि दल के सदस्यों को परपंगड़ी निकाय कार्यालय में प्रशिक्षण दिया गया। हर दल में छह से सात सदस्य थे। अधिकारी ने यह भी बताया था कि जिला कलेक्टर के आदेश से प्रभावित क्षेत्र के आसपास दस किलोमीटर तक अंडे, चिकन और पालतू जानवर बेचने पर प्रतिबंध है। केरल में कोझिकोड जिले में भी दो कुक्कुट पालन फार्म में बर्ड फ्लू संक्रमण के मामले दर्ज किए गए थे। जिसके कारण प्राधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों के एक किलोमीटर तक के दायरे में बत्तखों और मुर्गियों को मारने का फैसला करना पड़ा था।