जम्मू, 5 जनवरी। पुलवामा के बिलो गांव में खुदी हुई एक ताजा कब्र को इंतजार है उस युवक के शव का जिसे सुरक्षाबलों ने 29 और 30 दिसंबर की रात को उसके दो अन्य साथियों समेत एक मुठभेड़ में मार गिराया था। यह कब्र उसके बाप ने खोदी है जो अपने बेअे के याव को उसे सौंपने की मांग कर रहा है ताकि वह उसे उसके पैतृक गांव में दफन कर सके। पर प्रशासन ऐसा नहीं करने दे रहा है। दरअसल आतंकियों के जनाजों में बढ़ती भीड़ के बाद यह फैसला हुआ था कि मरने वाले आतंकियों के शव न ही उनके पैतृक गांवों में भेजे जाएंगे और न ही उनके परिजनों को सौंपें जाएंगे।
इसी फैसले के विरोध में सेना के एक आप्रेशन में 29 और 30 दिसंबर की रात को कथित मुठभेड़ में मारे गए तीन युवकों में शामिल अतहर को लेकर उसका परिवार कई दिनों से सड़क पर प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि पुलवामा में 30 दिसंबर की शाम में 16 साल के अतहर को उसके पिता मुश्ताक अहमद ने उसे अपने घर से दूर एक कब्र में सुरक्षाबलों के निर्देश पर दफना दिया था। पर उन्होंने अपने पैतृक गांव में एक और कब्र खोदी हुई है जिसमें उसे शव को दफन करना चाहते हैं। लेकिन सरकार ने आतंकियों को लेकर बनाई नीति के तहत शव को सौंपने से इनकार कर दिया। मुश्ताक ने रोते हुए मांग की कि अतहर का शव उन्हें दे दिया जाए। उन्होंने कहा, मैं पहले ही मर चुका हूं, मुझे अपना बच्चा दे दो या मुझे वहां दफना दो।
इस मामले में पुलिस की तरफ से दो विडियो अब जारी किए गए है। जिसमें मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को सरेंडर करने की अपील की जा रही है।दो पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती तथा उमर अब्दुल्ला भी प्रदर्शनकारियों के समर्थन में हैं। इन दोनों नेताओं की तरफ से भी बयान जारी करके कहा गया है कि इस मामले की जांच होनी चाहिए। परिजनों का कहना है कि उनके बच्चे आतंकी नहीं थे वे काम के लिए घर से बाहर गए थे।
दरअसल अतहर सेना के इनपुट के आधार पर एक आप्रेशन में 29 और 30 दिसंबर की रात को कथित मुठभेड़ में मारे गए तीन युवकों में शामिल था। सेना ने कहा कि वे सुनियोजित हमले के बारे में जानकारी दे रहे थे। सेना ने कहा कि तीनों ओवरग्राउंड कार्यकर्ता थे, हालांकि वे आतंकियों की किसी भी आधिकारिक सूची में नहीं थे, और उन्हें बार-बार आत्मसमर्पण करने का मौका दिया गया, लेकिन उन्होंने गोलीबारी जारी रखी।
दरअसल एक हेड कांस्टेबल का बेटा, अतहर और अजाज अहमद, दोनों पुलवामा के थे और एक दूसरे को जानते थे, वहीं ये नहीं कहा जा सकता कि वे मारे गए तीसरे युवक, ज़ुबैर अहमद के शोपियां से परिचित थे या नहीं। अजाज के पिता मोहम्मद मकबूल ने कहा, हम सुरक्षाबलों पर भरोसा नहीं कर सकते।जांच की मांग करने वाले युवकों के परिवारों, रिश्तेदारों और पड़ोसियों द्वारा श्रीनगर में एक विरोध प्रदर्शन में मुश्ताक ने कहा कि मुझे न्याय चाहिए। मुझे पैसे की आवश्यकता नहीं है मुझे केवल अपने बेटे का शव चाहिए। मैं किससे व्यक्त करूँ? क्या भारत के लोग नहीं सुनते हैं? मुझे मेरा बेटा चाहिए।