दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव के विलय का विधेयक संसद से पारित

By भाषा | Published: December 3, 2019 08:21 PM2019-12-03T20:21:29+5:302019-12-03T20:21:29+5:30

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद तीन (ए) के तहत केंद्र सरकार को दो क्षेत्रों को मिला कर एक क्षेत्र बनाने का अधिकार है और संविधान का अनुच्छेद चार (दो) इस प्रक्रिया को अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन के दायरे से बाहर रखता है।

Bill for merger of Dadra and Nagar Haveli and Daman and Diu passed by Parliament | दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव के विलय का विधेयक संसद से पारित

तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता ने विधेयक का समर्थन करते हुये कहा कि इस फैसले से सरकार का वित्तीय बोझ जरूर कम होगा

Highlightsसंघ राज्यक्षेत्रों का विलयन विधेयक, 2019 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गयी है। लोकसभा से पिछले सप्ताह बुधवार को ही इस विधेयक को मंजूरी मिल गयी थी।

केंद्र शासित प्रदेश दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन एवं दीव का विलय कर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने के प्रावधान वाले दादरा और नागर हवेली तथा दमन और दीव (संघ राज्यक्षेत्रों का विलयन) विधेयक, 2019 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गयी है। राज्यसभा ने मंगलवार को मंजूरी प्रदान की।

लोकसभा से पिछले सप्ताह बुधवार को ही इस विधेयक को मंजूरी मिल गयी थी। उच्च सदन में विधेयक पर हुई चर्चा के दौरान इन दोनों क्षेत्रों के विलय को लेकर सदस्यों द्वारा उठायी गयी कानूनी एवं अन्य शंकाओं का जवाब देते हुये गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि विलय के बाद इस क्षेत्र के जनजाति समुदाय के लोगों को मिल रहा आरक्षण और अन्य प्रशासनिक सुविधायें अप्रभावित रहेंगी। इससे पहले विधेयक, पर चर्चा के दौरान कुछ सदस्यों ने इस विलय को संविधान संशोधन के दायरे में बताते हुए सरकार से स्थिति को स्पष्ट करने की मांग की।

इसके जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद तीन (ए) के तहत केंद्र सरकार को दो क्षेत्रों को मिला कर एक क्षेत्र बनाने का अधिकार है और संविधान का अनुच्छेद चार (दो) इस प्रक्रिया को अनुच्छेद 368 के तहत संविधान संशोधन के दायरे से बाहर रखता है। इसलिए इन दोनों क्षेत्रों के विलय के लिए संविधान संशोधन की जरूरत नहीं है। इससे पहले रेड्डी ने कहा कि दोनों केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाने का उद्देश्य इस क्षेत्र की प्रशासनिक व्यवस्था को सुगम बनाना तथा क्षेत्र के विकास को सुनिश्चित करना है। उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था में दोनों केन्द्र शासित क्षेत्रों की प्रशासनिक व्यवस्था के लिये अधिकारियों को सप्ताह में तीन दिन एक क्षेत्र में और दो दिन दूसरे क्षेत्र में रहना पड़ता था।

उन्होंने कहा कि विलय के बाद अब दोनों क्षेत्र के लिये पृथक प्रशासनिक व्यवस्था होगी। जिसमें अधिकारी सप्ताह के पांचों कार्यदिवस पर उपलब्ध होंगे। रेड्डी ने स्पष्ट किया कि नयी व्यवस्था में इस क्षेत्र के लोकसभा में प्रतिनिधित्व में कोई बदलाव नहीं होगा। इससे पहले विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस के मधुसूदन मिस्त्री ने कहा कि दो प्रशासनिक इकाइयां बनाना सरकार का व्यावहारिक फैसला नहीं है।

भाजपा के विनय पी सहस्त्रबुद्धे ने इसे प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की दृष्टि से अहम फैसला बताते हुये कहा कि इससे नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। हालांकि तृणमूल कांग्रेस के मनीष गुप्ता ने विधेयक का समर्थन करते हुये कहा कि इस फैसले से सरकार का वित्तीय बोझ जरूर कम होगा लेकिन इससे इस क्षेत्र का जनप्रतिनिधित्व पर्याप्त नहीं होने की समस्या यथावत रहेगी।

गुप्ता ने कहा कि क्षेत्र के लोगों को पहले की तरह न्याय के लिये लोगों को मुंबई जाना पड़ेगा। अन्नाद्रमुक के ए नवनीत कृष्णन ने भी इस क्षेत्र को विलय के बाद बंबई उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में रखे जाने पर चिंता व्यक्त करते हुये सरकार से इस पर विचार करने का अनुरोध किया।

इसके जवाब में रेड्डी ने कहा कि मुंबई की दूरी अहमदाबाद की तुलना में काफी कम होने के कारण बंबई उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार बरकरार रखा गया है। चर्चा में बीजद बीजद के सस्मित पात्रा, सपा के विशंभर प्रसाद निषाद, माकपा के केके रागेश, जदयू के आरसीपी सिंह, द्रमुक के तिरुचि शिवा, राजद के मनोज झा तथा आप के सुशील गुप्ता ने हिस्सा लिया।

उल्लेखनीय है कि विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है दादरा और नागर हवेली तथा दमन एवं दीव संघ राज्य क्षेत्रों के विलय से कागजी कार्यों में कमी लाकर दोनों संघ राज्यक्षेत्रों के नागरिकों को बेहतर सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी। प्रशासनिक व्यय में कमी लाकर नीतियों और योजनाओं में एकरूपता लाना, योजनाओं की बेहतर निगरानी करना तथा विभिन्न कर्मचारियों के काडर का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा। मौजूदा व्यवस्था में दोनों क्षेत्रों के लिये दो सचिवालय और दो समांतर विभाग हैं। दादरा और नागर हवेली में सिर्फ एक जिला है जबकि दमन और दीव में दो जिले हैं।

रेड्डी ने कहा कि विधेयक में कहा गया है कि दो संघ राज्यक्षेत्र में दो पृथक संवैधानिक और प्रशासनिक सत्ता होने के कारण कार्य में दोहराव होता है, कार्य क्षमता में कमी आती है और फिजूलखर्ची बढ़ती है जिससे सरकार पर अतिरिक्त वित्तीय भार आता है। यह देखते हुए इस विधेयक को लाया गया है।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू और कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे के अधिकांश प्रावधानों को पांच अगस्त को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने की घोषणा की थी। जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वर्तमान में देश में नौ केंद्र शासित प्रदेश हैं। दमन और दीव तथा दादरा एवं नागर हवेली के विलय के बाद केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या घटकर आठ हो जाएगी। 

Web Title: Bill for merger of Dadra and Nagar Haveli and Daman and Diu passed by Parliament

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