बिहार: 17 जिले में जलसंकट, ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चले जाने से बोरिंग में हो रही है परेशानी
By एस पी सिन्हा | Published: May 18, 2019 03:35 PM2019-05-18T15:35:41+5:302019-05-18T15:35:41+5:30
राज्य के बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा, नालंदा, पटना, गया, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद कैमूर व रोहतास जिले में जल संकट गहराने लगा है.
बिहार के 17 जिले जलसंकट से जूझ रहे हैं. इन जिलों में जलस्तर काफी नीचे चला गया है. यहां पेयजल संकट तो है ही इसके साथ ही पटवन की समस्या भी उत्पन्न हो गई है. ग्राउंड वाटर लेवल नीचे चले जाने की वजह से बोरिंग भी फेल हो जा रही है. अन्य प्राकृतिक जल श्रोत भी अच्छी स्थिति में नहीं है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार राज्य के बांका, मुंगेर, जमुई, लखीसराय, शेखपुरा, नवादा, नालंदा, पटना, गया, अरवल, जहानाबाद, औरंगाबाद कैमूर व रोहतास जिले में जल संकट गहराने लगा है.
कई ईलाकों में त्राहिमाम की स्थिती है. ऐसे में अब बिहार सरकार के द्वारा इन ईलाकों में जल संरक्षण और सिंचाई योजना पर कृषि विभाग चालू वित्तीय 2019-20 में 320 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई गई है.
पीएम कृषि सिंचाई योजना प्रति बूंद के नाम से यह योजना इन जिले में चलाई जायेगी. विभाग का अनुमान है कि इन योजनाओं के कार्यान्वयन से 5378 एकड़ में अतिरक्ति सिंचाई हो सकेगी. पौधरोपण से हरियाली भी आयेगी और भूमि का संरक्षण भी होगा. राज्य के जिन जिलों में सिंचाई के लिए किसान वर्षा पर आश्रित हैं.
वहां पर जलछाजन बहुत ही कारगर है. कृषि विभाग का भूमि संरक्षण निदेशालय चालू वित्तीय वर्ष 2019.20 में राज्य के 17 पहाड़ी जिलों में जल स्रोतों व सिंचाई स्रोत को डेवलप कर उसे बचाने और ग्राउंड लेवल वाटर को मेंटेंन रखने के लिए 320.52 करोड खर्च करेगा.
सबसे अधिक प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जलछाजन विकास कार्यक्रम पर 218. 85 करोड़ खर्च होंगे. इस योजना के तहत वर्षा के जल को संरक्षित रखने के लिए तालाब चैक डैम आदि का नर्मिाण होगा. पेड़ पौधे भी लगाये जायेंगे. जल को संग्रह कैसे किया जायेगा? इसके लिए लोगो को जागरूक किया जायेगा. कम पानी में कैसे खेती हो सकती है किन-किन फसलों की खेती हो सकती है, इसकी भी जानकारी मिलेगी.