पटनाः राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कुछ दिनों पहले ही जदयू से बगावत कर कुशवाहा ने अपनी अलग पार्टी बनाई है। जदयू छोड़ चुके उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू से रिश्ते की अंतिम डोर भी तोड़ डाली। कुशवाहा आज दोपहर 3 बजे बिहार विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर से मिलकर उन्हें अपना इस्तीफा सौंपा।
दरअसल, पिछले कई दिनों से सभापति देवेश चंद्र ठाकुर पटना से बाहर थे। विधान परिषद से इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि मैं जमीर बेचकर कभी अमीर बन नहीं बन सकता। इसीलिए मैंने तत्काल ही पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि उनपर कई तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए गए। उन आरोपों का जवाब उन्होंने आज दे दिया है।
कुशवाहा ने कहा कि उन्हें किसी भी तरह का पद का लालच नहीं है। जिस पद पर रहकर मैं जनता का काम नहीं कर सकता, उस पद पर रहने का मुझे कोई अधिकार नहीं। साथ ही उन्होंने कहा कि अब मैंने सदन को छोड़कर सड़क पर उतरने का फैसला किया है। उपेंद्र कुशवाहा ने संस्कृत श्लोक के जरिए मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी, “त्वदीयं वस्तु तुभ्यमेव समर्पये।
आज मैंने विधान परिषद् की सदस्यता से इस्तीफा सौंप दिया। आज हम सदन को छोड़कर सड़क पर आ गए हैं और जिन सिद्धातों को लेकर राजनीति कर रहे हैं उसे आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि अब उनका नीतीश के खिलाफ राजनीतिक संघर्ष जारी रहेगा। बिहार के हित में उन्होंने नई पार्टी गठित की है। चक्रव्यूह से बाहर आ जाने की सुखद अनुभूति हो रही है।
याचना का परित्याग कर रण के रास्ते पर निकल पड़ा हूं। बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा 17 मार्च 2021 को विधान परिषद में राज्यपाल की ओर से नामित हुए थे। उनका कार्यकाल 16 मार्च 2027 तक था। वहीं बिहार विधान परिषद के सभापति दिनेश चंद्र ठाकुर ने बताया कि उपेंद्र कुशवाहा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है। आज से परिषद में एक पद रिक्त हो गया है।