पटना:बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनों से ही घिरते नजर आ रहे हैं. नालंदा जिले में जहरीली शराब से मौत की घटना ने सियासत में भूचाल ला दिया है.
विपक्षी दलों के साथ-साथ सरकार में शामिल भाजपा और हम ने भी इसको लेकर सरकार पर निशाना साधा है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने जहां एक ओर शराबबंदी कानून की फिर से समीक्षा करने की बात कही है तो वहीं, भाजपा बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने एक बार फिर जदयू पर हमला बोला है.
नालंदा में जहरीली शराब से हुई 11 लोगों की मौत पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने नीतीश सरकार से नालन्दा के बड़े अधिकारी को गिरफ्तार करने की मांग की है. साथ ही जायसवाल ने जदयू नेताओं से पूछा कि क्या इन मृतक के परिजनों को जेल भेज देना चाहिए? इसको लेकर उन्होंने एक लंबा पोस्ट किया है.
डा. जायसवाल ने लिखा है कि नालंदा जिले में जहरीली शराब से 11 मौतें हो चुकी हैं. परसों मुझसे जहरीली शराब पर जदयू प्रवक्ता ने प्रश्न पूछा था. आज मेरा प्रश्न उस दल से है कि क्या इन 11 लोगों के पूरे परिवार को जेल भेजा जाएगा? क्योंकि अगर कोई जाकर उनके यहां सांत्वना देता तो आपके लिए अपराध है.
उन्होंने आगे लिखा कि अगर शराबबंदी लागू करना है तो सबसे पहले नालंदा प्रशासन द्वारा गलत बयान देने वाले उस बड़े अधिकारी की गिरफ्तारी होनी चाहिए क्योंकि प्रशासन का काम जिला चलाना होता है ना कि जहरीली शराब से मृत व्यक्तियों को अजीबो-गरीब बीमारी से मरने का कारण बताना. यह साफ बताता है कि प्रशासन स्वयं शराब माफिया से मिला हुआ है और उनकी करतूतों को छिपाने का काम कर रहा है.
प्रदेश अध्यक्ष इतने भर से नहीं रूके उन्होंने कहा कि दूसरे अपराधी वहां के पुलिसवाले हैं, जिन्होंने अपने इलाके में शराब की खुलेआम बिक्री होने दी. 10 वर्ष का कारावास इन पुलिसकर्मियों को होना चाहिए, ना कि इन्हें 2 महीने के लिए निलंबित करके नया थाना देना. जहां वह यह सब काम चालू रख सकें.
तीसरा सबसे बड़ा अपराधी शराब माफिया है, जो शराब की बिक्री विभिन्न स्थानों पर करवाता है. इसको पकड़ना भी बहुत आसान है. इन्हीं पुलिसकर्मियों से पुलिसिया ढंग से पूछताछ की जाए तो उस माफिया का नाम भी सामने आ जाएगा.
शराब बेचने वाले और पीने वाले दोनों को सजा अवश्य होनी चाहिए पर यह उस हाइड्रा की बाहें हैं, जिन्हें आप रोज काटेंगे तो रोज उग जाएंगे. जड़ से खत्म करना है तो प्रशासन, पुलिस और माफिया की तिकड़ी को समाप्त करना होगा.
उधर, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा नीतीश कुमार को इस पर समझना, सोचना और विचार करना चाहिए, जब प्रधानमंत्री कृषि कानून को वापस ले सकते हैं तो आप विचार करें.
उन्होंने नालंदा में जहरीली शराब से हुई मौतों पर कहा कि शराब पर इतना बार बोल चुके हैं कि अब इस पर बोलना बेईमानी लगता है. नांलदा ही नहीं और भी जगह पहले मौत हुई है. बोलेंगे तो इसे भाजपा या कुछ और लोग समझ जाते हैं. लेकिन बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पता नहीं क्यों नही समझ पा रहे हैं? इसे प्रतिष्ठा का सवाल बना लिए हैं.
कृषि कानून को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वापस ले सकते हैं तो शराब की नीति पर समीक्षा न करना यह कहां की बात है. समीक्षा करना ही उचित होगा. पहले गोपालगंज में हुआ अब नालंदा में हुआ. बिहार में कहां नहीं जहरीली शराब से मौत हुआ है?
शराब बनाने में केमिकल का लोग यूज करते हैं, जो कमजोर वर्ग के हैं, खाना मिला नहीं और शराब पीने का अभ्यस्त हैं. ऐसे में वह पी लेता है तो वह मरेगा ही. गुजरात में तो बिहार से पहले शराबबंदी लागू है. महात्मा गांधी का जन्मस्थल है. उसी प्रकार से गुजरात मॉडल भी सरकार अपना ले तो उचित होगा.
उन्होंने कहा कि 1991 के शराब नीति में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति शराब पीकर सार्वजनिक स्थान पर नहीं जा सकता है, न किसी से झगड़ा कर सकता है. अब तो सुप्रीम कोर्ट भी कह रही है कि जमानत का नम्बर आने में ही समय लग जाए रहा है. इस पर नीतीश कुमार को सोचना, समझना और विचार करना चाहिए.