बिहार: सावन का आखिरी सोमवार और बकरीद एक ही दिन, मुजफ्फरपुर के अल्पसखंख्यकों ने लिया कुर्बानी टालने का फैसला
By एस पी सिन्हा | Published: August 11, 2019 07:28 PM2019-08-11T19:28:33+5:302019-08-11T19:36:46+5:30
मुजफ्फरपुर के इमाम सईजुद जमां ने बताया कि यह फैसला मानवता के लिए, भाईचारा के लिए समाजिक सौहार्द के लिए सबकी रजामंदी से लिया गया है. यह पहला मौका है जब एक साथ सावन की सोमवारी और बकरीद है. ऐसे में हिन्दू भाईयों के लिए हमने एक दिन बाद बकरीद मनाने का एलान किया है.
देशभर में बकरीद जहां 12 अगस्त को मनाई जायेगी वहीं, बिहार के मुजफ्फरपुर के छातापुर बाजार में सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल देखने को मिली है. सावन की अंतिम सोमवारी व बकरीद एक ही दिन पड़ने के करण मुसलमानों ने बकरीद की कुर्बानी को एक दिन के लिए टालने का बड़ा फैसला लिया है. मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भाईचारा बनाए रखने का यह ऐतिहासिक फैसला किया है.
मुजफ्फरपुर में अल्पसंख्यकों ने 13 अगस्त को बकरीद मनाने का फैसला लिया है. भाईचारा और साम्प्रदायिक सौहार्द की मिशाल पेश करते हुए अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने यह फैसला लिया है. दरअसल, सावन की अंतिम सोमवारी को बाबा गरीबनाथ धाम में लोगों की भारी भीड़ जुटती है ऐसे में मंदिर में जुटने वाली भक्तों की भीड़ को देखते हुए यह फैसला लिया गया है. बाबा गरीबनाथ धाम मंदिर से सटे एक मस्जिद से इस बात का एलान भी कर दिया है कि मुसलमान भाई सोमवार के बदले मंगलावर को बकरीद मनायेंगे. इस बार 12 अगस्त यानि सोमवार को सावन की अंतिम सोमवारी है तो दूसरी तरफ मुसलमान भाईयों का पर्व बकरीद. यह पहला मौका है जब दोनों पर्व सावन की सोमवारी की ही पड़ा है. ऐसे में मुजफ्फरपुर के छाता बाजार स्थित अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने दरियादिली दिखाई है. यहां के 37 अल्पसंख्यक परिवारों ने सोमवार को बकरीद नहीं मनाने का एलान किया है.
आपस में लिये गये निर्णय को मस्जिद के इमाम ने घोषणा कर बता दिया है कि कोई जरूरत नहीं कि 12 अगस्त को ही बकरीद मने. कुरान के अनुसार तीन दिनों तक लोग बकरीद मना सकते हैं. अल्पसंख्यक समुदाय ने यह निर्णय इसलिए लिया है कि बाबा गरीबनाथ धाम मंदिर में सावन के सोमवार को जलाभिषेक के लिए आने वाले हिन्दू श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की दिक्कत नहीं हो.
मुजफ्फरपुर के इमाम सईजुद जमां ने बताया कि यह फैसला मानवता के लिए, भाईचारा के लिए समाजिक सौहार्द के लिए सबकी रजामंदी से लिया गया है. यह पहला मौका है जब एक साथ सावन की सोमवारी और बकरीद है. ऐसे में हिन्दू भाईयों के लिए हमने एक दिन बाद बकरीद मनाने का एलान किया है. 37 अल्पसंख्यक परिवारों में से 26 परिवारों के यहां कुर्बानी के लिए बकरा पहले से खरीदा गया था. लेकिन अब बकरीद की कुर्बानी सोमवार की जगह मंगलवार को की जायेगी. छाता बाजार के वार्ड नंबर 21 के पार्षद के पी पप्पू ने सबसे पहले अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों से इस बात के लिए सुझाव दिया कि वे बाबा गरीबनाथ धाम में आने वाले लाखों कांवरियों के आस्था और श्रद्धा का ध्यान देते हुए अपने पर्व को एक दिन टाल दें, और फिर एैसा ही हुआ.
वहीं, हिन्दू समुदाय के लोगों ने भी सोमवार को बकरीद के नमाज पढ़ने जाने वाले लोगों को मदद पहुंचाने का संकल्प लिया है. छाता बाजार के मोहम्मद आजाद ने बताया कि घर के लोगों खासकर बच्चों को भी इस बात के लिए रजामंद कर लिया है कि नमाज तो बकरीद की अदा करेंगे. लेकिन बकरे की कुर्बानी एक दिन बाद यानि मंगलवार को करेंगे. सूबे में बकरीद और सावन की सोमवारी एक दिन पड़ने से जहां सरकार और प्रशास विधि-व्यवस्था को लेकर चिंतित है. वहीं आपसी समझदारी और नेक निर्णय स मुजफ्फरपुर के अल्पसंख्यक लोगों ने आपसी एकता और भाईचारा की मिशाल पेश की है.