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बिहार: RJD नेता ने कहा, BJP छोड़कर सभी विपक्षी दलों का नेतृत्व करें नीतीश कुमार, मोदी से वही मुकाबला कर सकते हैं

By एस पी सिन्हा | Updated: August 14, 2019 20:11 IST

राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सलाह दी है कि अब मजबूरियों को छोड़िए और देशहित के लिए, बिहार की भलाई के लिए भाजपा का साथ छोड़कर देश के सभी विपक्षी दलों का नेतृत्व कीजिए. बस आपमें ही ये क्षमता है कि आप नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सकते हैं और अब वो समय आ गया है कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय पटल पर आगे बढ़ें.

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बिहार में लोकसभा चुनाव में राजद के सफाये के बाद उसकी डूबती नैया को बीच मझधार से बाहर निकालने के लिए अब उसे किसी खेवनहार की तलाश है. तेजस्वी यादव लंबे समय से सक्रिय राजनीति से लापता हैं. ऐसे में राजद को अब सारी उम्मीदें बस मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से रह गई है. राजद नीतीश कुमार से किसी चमत्कार की उम्मीद लगाए बैठी है. शायद यही कारण है कि बिहार में विपक्ष खुलेआम कई बार नीतीश कुमार को एनडीए छोड़ महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दे चुकी है.  

राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को सलाह दी है कि अब मजबूरियों को छोड़िए और देशहित के लिए, बिहार की भलाई के लिए भाजपा का साथ छोड़कर देश के सभी विपक्षी दलों का नेतृत्व कीजिए. बस आपमें ही ये क्षमता है कि आप नरेंद्र मोदी का मुकाबला कर सकते हैं और अब वो समय आ गया है कि नीतीश कुमार राष्ट्रीय पटल पर आगे बढ़ें.

उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार सब जानते हैं कि भाजपा की मंशा क्या है? वह देश में उन्माद, हिंसा को बढ़ावा देकर धर्म के नाम पर गंदी राजनीति कर रही है.

तीन तलाक, अनुच्छेद 370 और राम मंदिर जैसे विवादित मुद्दों पर जदयू ने जो अपना स्टैंड लिया है, उसका हम समर्थन करते हैं और नीतीश कुमार से अपील करते हैं कि अब वो देश हित का सोचें.

शिवानन्द तिवारी ने कहा कि अभी देश में विपक्ष का कोई चेहरा नहीं है. नीतीश की क्षमता सिर्फ सीएम तक ही नहीं है, ये उन्हें समझना चाहिए. पीएम नरेंद्र मोदी का मुकाबला सिर्फ नीतीश कुमार ही कर सकते हैं.

देश को बांटने वाली ताकतों के खिलाफ अब नीतीश कुमार को खड़ा होना चाहिए और सत्ता का मोह छोड़कर नरेंद्र मोदी का मुकाबला करना चाहिए. अगर वो विपक्ष का नेतृत्व करें तो उन्हें राजद समेत सभी विरोधी पार्टियों का समर्थन मिलेगा.

तिवारी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ और केंद्रीय मंत्री का पद नहीं छोड़ा. लेकिन 2013 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया तो नीतीश ने एनडीए से नाता तोड़ लिया. उस समय एक इंटरव्यू में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के राजनीतिक व्यक्तित्व पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ‘प्रधानमंत्री पद के दावेदार का व्यक्तित्व खुरदुरा नहीं होना चाहिए. नीतीश कुमार को उस वक्त भी पीएम मोदी का नेतृत्व का स्वीकार नहीं था, आज भी उनके सिद्धांत अलग हैं. अभी के वक्त में देश में जो माहौल बनाया जा रहा है, उसके खिलाफ सबको एकजुट होना चाहिए. देश में हिंदू राष्ट्र के नाम पर हिंसा और उन्माद भड़काया जा रहा है. जम्मू-कश्मीर को बांट दिया गया, केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया. वहां भी गुंडागर्दी की जा रही और उन्माद भड़काया जा रहा है. देश को तोड़ने की राजनीति की जा रही है. इसके खिलाफ आवाज उठानी ही होगी.

उन्होंने कहा कि मैं नीतीश कुमार के साथ भी रहा हूं और अब लालू जी के साथ हूं. दोनों में भले ही वैचारिक मतभेद हों. लेकिन दोनों शुरू से ही धर्मनिरपक्ष ताकतों के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे हैं और अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया. आज भी नीतीश कुमार गठबंधन में रहकर अपने स्टैंड पर कायम हैं और अपने सिद्धांतों के आगे भाजपा के सामने घुटने नहीं टेकते हैं. नीतीश कुमार सधी राजनीति करते हैं.  शिवानंद तिवारी ने माना कि राजद की स्थिति अभी ठीक नहीं है. पार्टी अभी कई तरह की परेशानियां झेल रही हैं. लेकिन, हम मिल-जुलकर पहले की ही तरह मजबूती से खड़े होंगे. हमारे नेता तेजस्वी यादव हैं और वही रहेंगे. किन्हीं खास वजहों से वो अभी दिल्ली में हैं और शायद जल्द ही पटना आएंगे. तेजस्वी आएंगे और फिर से पूरी सक्रियता और तन्मयता से पार्टी की कमान संभालेंगे. शिवानंद तिवारी यह मानते हैं कि अभी की जो स्थिति है उसमें महागठबंधन में टूट जारी है. क्योंकि नेतृत्व कौन करे?

ये सबसे बड़ा संकट है. हमारी पार्टी बिहार की सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन जब परेशानियां आती हैं तो कोई भी आपका साथ नहीं देता, धीरे-धीरे सब आपसे किनारा कर लेते हैं. हमारी पार्टी में ही परेशानियां हैं तो सहयोगी भी दूर हो रहे हैं. कमजोर के साथ कोई रहना नहीं चाहता. मुझे पूरी यकीन है कि हमारे नेता और कार्यकर्ता जिस निराशा और हतोत्साह के दौर से गुजर रहे हैं, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा. शिवानंद तिवारी ने कहा है कि आज राजद की स्थिति से पार्टी के अध्यक्ष लालू जी भी चिंतित हैं. पारिवारिक परेशानियों के साथ ही पार्टी भी संकट के दौर से गुजर रही है. लालू जी रहते तो पार्टी की ये स्थिति नहीं होती. लेकिन उनके नहीं रहने की वजह से परेशानियां बढ़ती जा रही हैं.  यहां उल्लेखनीय है कि जदयू बिहार में एक ऐसा ध्रुव बन चुकी है, जिसके बिना किसी भी दल का सत्ता में आना मुमकिन नहीं लगता है. 2015 में जदयू ने राजद का साथ दिया था तो पार्टी 10 सालों के बाद सत्ता में लौट पाई थी. लेकिन दो साल के अंतर पर ही गठबंधन टूट गया और जदयू ने भाजपा के साथ हाथ मिलाया और फिर से दोनों सत्ता में आ गए. बिहार में विधानसभा चुनाव में अभी भी एक साल का समय है. ऐसे में राजनीति क्या करवट लेती है इसपर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं.  

टॅग्स :बिहारनीतीश कुमारनरेंद्र मोदीजेडीयूआरजेडीभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)
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