Bihar River: बिहार में अभी से ही सूखने लगी नदियां?, 11 नदियों में पानी मापने योग्य भी नहीं, तीन नदी पूरी तरह सूखी!
By एस पी सिन्हा | Updated: October 30, 2024 20:41 IST2024-10-30T20:40:47+5:302024-10-30T20:41:33+5:30
Bihar River: सरकार की रिपोर्ट की मानें तो राज्य की तीन नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं, जबकि 11 नदियों में पानी मापने योग्य भी नहीं रह गया है।

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Bihar River: मानसून की विदाई हुए अभी कुछ दिन ही हुए हैं कि बिहार में नदियों के सूखने का सिलसिला शुरू हो गया है। हाल यह है कि कुछ दिन पहले तक जिन नदियों का जलस्तर खतरे से ऊपर था, वह भी सूखने लगी हैं। नदियों के असमय सूखने से लोग चिंतित होने लगे हैं। इस बीच राज्य सरकार ने इस स्थिति की जांच का फैसला लिया है। बताया जाता है कि इन नदियों के आसपास के क्षेत्रों में भू-जल नीचे चला गया है। राज्य सरकार की रिपोर्ट की मानें तो राज्य की तीन नदियां पूरी तरह सूख चुकी हैं, जबकि 11 नदियों में पानी मापने योग्य भी नहीं रह गया है।
रिपोर्ट के अनुसार नदियों में कई जगहों पर सिर्फ गीली सतह ही शेष रह गई है। पानी गेज स्थल के नीचे जा चुका है। इनमें से कई नदियां तो मॉनसून के दौरान खतरे के निशान तक पहुंची थीं। रिपोर्ट के अनुसार नदियों के सूखने का सिलसिला तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार यदि ऐसा ही रहा तो कुछ ही दिनों में बड़ी संख्या में नदियां सूख जाएंगी।
सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बिहार में इस साल सारी नदियों में भरपूर पानी आया। कोसी ने 5 तो गंडक ने 3 दशकों का रिकॉर्ड तोड़ा। 11 नदियों ने उच्च जलस्तर का रिकॉर्ड बनाया। जल संसाधन विभाग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार महज एक माह में ही 100 मीटर से अधिक का जलस्तर न्यूनतम स्तर पर आ गया।
रोहतास जिले की अवसाने नदी में 1 अक्टूबर को 102 मीटर पानी था। इस नदी में आज मापने योग्य पानी नहीं है। जुलाई में काव नदी में 103.38 मीटर पानी था। आज नदी पूरी तरह सूख चुकी है। जबकि नवादा में सकरी नदी में 80 मीटर पानी था। लेकिन आज वहां से भी पानी गायब है। बता दें कि इन नदियों से 40 से 50 हजार हेक्टेयर में सिंचाई होती थी।
खासकर सकरी और काव नदी से जुड़ी सिंचाई परियोजनाएं भी हैं। हालात ऐसे हैं कि कोसी जैसी नदियों में भी अक्टूबर में ही डेल्टा बनने लगा है। इस तरह बिहार में पहली बार ऐसा है कि बाढ़ अवधि में ही नदियों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगा है। जिसके चलते बीते कुछ दिनों से सिंचाई पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। हाल के दिनों में जो नदियां सू्खी हैं और जिन नदियों में मापने योग्य पानी भी शेष नहीं रह गया है, वे 10 लाख से अधिक आबादी को प्रभावित कर रही हैं। इनमें रोहतास, नवादा, नालंदा, सीतामढ़ी, कटिहार, गया और बांका जिले का बड़ा इलाका शामिल है।
नदियों के सूखने से आस-पास के कई और जिलों पर भी प्रभाव पड़ा है। नदियां 2 से 10 किलोमीटर के कई स्ट्रेच में सूखी हैं। कहीं-कहीं तो इससे अधिक लंबाई में नदियों में पानी दिखता ही नहीं है। यही नहीं इन नदियों में अधिसंख्य 20 से 40 मीटर तक की चौड़ाई में हैं।
खासकर शहरी व कस्बाई इलाकों में नदियों में पानी अधिक मात्रा में गायब है। यहां नदियां अतिक्रमण की भी शिकार हुई हैं। ऐसे में नदियों के असमय सूखने से स्थानीय निवासियों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। कारण कि अभी तो शरद काल ही है, अभी ग्रीष्म काल आना बाकी ही है।