बिहार: शराबकांड पर आरसीपी सिंह ने घेरा नीतीश कुमार को, कहा- "मरा भी गरीब और नौकरी भी जायेगी गरीब की, वाह!वाह!"
By एस पी सिन्हा | Updated: April 16, 2023 18:49 IST2023-04-16T18:41:32+5:302023-04-16T18:49:00+5:30
मोतिहारी शराबकांड की घटना पर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि शराबबंदी पूरी तरह से फेल है और नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा के कारण गरीबों की जान जा रही है।

फाइल फोटो
पटना:बिहार के मोतिहारी जिले में हुई जहरीली शराबकांड की घटना को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने कहा कि बिहार में शराबबंदी पूरी तरह से फेल है। नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा के कारण गरीबों की जान तक जा रही है। जहरीली शराब पीने से मरा भी गरीब और नौकरी भी गरीब की ही जाएगी। बता दें कि इस घटना के बाद एएसआई और चौकीदारों को निलंबित किया गया है।
आरसीपी सिंह ने सोशल मीडिया पर गोस्वामी तुलसीदास के बालकाण्ड में लिखे पंक्ति का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि तुलसीदास ने ठीक ही लिखा है -‘समरथ को नहीं दोष गोसाईं’। आप प्रदेश के मुखिया हैं। राज्य के सारे आर्थिक एवं मानव संसाधन आपके अधीन है। पुलिस, आबकारी और खुफिया तंत्र के सर्वे सर्वा आप स्वयं हैं। सभी विभागों के वरीय पदाधिकारी गण अपने-अपने विभागों की प्रगति और समस्याओं से आपको समय समय पर अवगत कराते रहते हैं। फिर भी जहरीली शराब पीने से गरीब मर रहे हैं।
समाचार पत्रों में छपी खबरों से ऐसा लगता है कि शराब के अवैध कारोबार को रोकने के लिए आपने सैंकड़ों- करोड़ों रुपए का बजट दिया है। पूरे पुलिस विभाग को आपने इसी काम में लगा दिया है। शिक्षकों तक को आपने इस अभियान से जोड़ रखा है। इन सबके बावजूद भी शराबबंदी की आपकी नीति क्यों सफल नहीं हो पा रही है?
उन्होंने लिखा है कि मोतिहारी ज़हरीली शराबकाण्ड-एएसआई और चौकीदार निलम्बित! नीतीश बाबू क्या शानदार मानक है आपका जिम्मेदारी निर्धारण करने का मान गए। प्रदेश में शराबबंदी की नीति आपने बनाई और निलंबित कर रहे हैं बेचारे एएसआई और चौकीदार को। मरा भी गरीब और नौकरी भी जाएगी गरीब की।
उन्होंने आगे लिखा है कि खान-पान व्यक्ति का निजी मामला होता है। खान -पान को कानून के जरिए नहीं बदला जा सकता है। लोहिया जी भी कहा करते थे कि खान-पान निजता से जुड़ा हुआ है, इसे कानून के दायरे में नहीं लाना चाहिए। कानून के बदले लोगों को जागृत कर खान-पान के गुणों और अवगुणों से अवगत कराया जा सकता है।