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बिहारः सीएम नीतीश आप बच्चों को पोशाक, पुस्तकें, साइकिल के लिए पैसा देते हैं, बड़ा दिल दिखाते हुए ट्यूशन और कोचिंग का पैसा भी दे, आरसीपी सिंह ने मुख्यमंत्री पर हमला किया

By एस पी सिन्हा | Updated: April 20, 2023 17:47 IST

बिहार की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। उच्च शिक्षा की स्थिति तो और भी बदतर है! भारतवर्ष के साथ-साथ विदेशों के विद्यार्थीगण भी यहां ज्ञान अर्जन करते थे।

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ठळक मुद्देबिहार में एक भी शैक्षणिक स्थान की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है।सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक, माध्यमिक एवं इंटर तक की शिक्षा का कोई स्तर ही नहीं रहा है।कभी जनगणना, कभी पशु गणना, कभी जातीय गणना, कभी चुनाव संबंधित कार्य, कभी शराबबंदी इत्यादि।

पटनाः मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कभी करीबी रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह नीतीश कुमार पर लगातार हमलावर बने हुए हैं। आए दिन वह किसी ना किसी मुद्दे पर नीतीश कुमार पर हमला करने का कोई मौका नही गंवाते हैं। इसी कड़ी में उन्होंने आज राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जोरदार हमला बोला है।

 

उन्होंने कहा है कि बिहार की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। उच्च शिक्षा की स्थिति तो और भी बदतर है! उन्होंने कहा कि नीतीश बाबू आप सूबे के बच्चों को पोशाक, पुस्तकें, साइकिल का पैसा देते ही हैं, लेकिन अब बड़ा दिल दिखाते हुए अब बच्चों को ट्यूशन और कोचिंग का पैसा भी दे। आरसीपी सिंह ने कहा कि नीतीश बाबू ,आप तो जानते ही हैं कि बिहार ज्ञान की भूमि रही है।

आरसीपी सिंह ने कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय, उदंतपुरी विश्‍वविद्यालय(बिहार शरीफ), विक्रमशिला विश्वविद्यालय जैसी विश्व विख्यात संस्थाएं बिहार में ही थी। भारतवर्ष के साथ-साथ विदेशों के विद्यार्थीगण भी यहां ज्ञान अर्जन करते थे। आपको पता है न नीतीश बाबू कि आज बिहार में एक भी शैक्षणिक स्थान की पहचान राष्ट्रीय स्तर पर नहीं है।

आपको याद दिला दें मुख्यमंत्री महोदय कि विगत 33 वर्षों में बिहार पर या तो लालू यादव के परिवार ने या आपने ही शासन किया है। आपने कभी सोचा कि कैसे बिहार शिक्षा के क्षेत्र में इतना पिछड़ गया? आज बिहार की शिक्षा व्यवस्था बिलकुल ध्वस्त हो चुकी है। सरकारी विद्यालयों में प्राथमिक, माध्यमिक एवं इंटर तक की शिक्षा का कोई स्तर ही नहीं रहा है।

उच्च शिक्षा की स्थिति तो और भी बदतर है! विद्यार्थियों का ज्ञान न्यूनतम स्तर पर भी नहीं है। शिक्षकों को अध्यापन को छोड़कर अन्य कार्यों में व्यस्त रखा जाता है- कभी जनगणना, कभी पशु गणना, कभी जातीय गणना, कभी चुनाव संबंधित कार्य, कभी शराबबंदी इत्यादि। जबकि शिक्षकों का पहला धर्म एवं कर्तव्य विद्यार्थियों को ज्ञानार्जन कराना है परंतु आप उनसे कौन-कौन सा काम करा रहे हैं?

उन्होंने कहा कि आप बच्चे को पोशाक, पुस्तकें, साइकिल का पैसा देते हैं। परंतु कोचिंग और ट्यूशन का पैसा तो उनके अभिभावक ही देते हैं। सरकारी विद्यालयों में गरीब बच्चे ही ज़्यादा पढ़ते हैं, अब बताइए वो कैसे पढ़े? उनके पास ट्यूशन और कोचिंग का पैसा नहीं है।

इसलिए नीतीश बाबू समझिए, अब समय आ गया है कि बच्चों की पढ़ाई के लिए उनके खातों में ट्यूशन तथा कोचिंग के लिए पैसे एक मानक बनाकर ट्रांसफर किए जायें जिससे गरीब बच्चे ज्ञानार्जन करने से वंचित न रह जाएं। आपकी नींद कब खुलेगी नीतीश बाबू? क्या आप कुर्सी की ही चिंता में डूबे रहिएगा मुख्यमंत्री महोदय? बच्चों की शिक्षा बदहाल! आप और आपके मंत्री खुशहाल! कुर्सीवाद जिंदाबाद! कुर्सीवाद जिंदाबाद!

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