पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 18 जिलों की 121 विधानसभा सीटों पर कुल 65.08 प्रतिशत मतदान हुआ। आजादी से लेकर अब तक हुए तमाम चुनावों का रिकॉर्ड ध्वस्त हो गया। 2020 चुनाव के पहले फेज में सिर्फ 55.68 हुआ था, हालांकि तब चुनाव 3 फेज में हुआ था और पहले फेज में सीटें भी 71 थीं। पहले चरण में पुरुषों ने 61 फीसदी वोट दिया है, जबकि महिलाओं ने 69 फीसदी। ऐसे में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की लगभग 8 फीसदी अधिक हुआ मतदान कई राजनीतिक संकेत देती है। आजादी के बाद से आज तक कभी इतनी अधिक मतदान नहीं हुआ था।
इस बार विधानसभा चुनाव में 2020 के मुकाबले 7.79 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें भी पुरुषों का 7 फीसदी, जबकि महिलाओं का 8.34 फीसदी वोट बढ़ा है। चुनाव आयोग के मुताबिक वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में 57.29 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। इसमें 59.69 प्रतिशत महिलाओं और 54.45 प्रतिशत पुरुषों ने वोट दिया था।
पहले चरण में पहली बार मतदान करने वाले युवाओं की बड़ी फौज रही। 18 से 19 साल के 7 लाख 37 हजार 765 वोटर्स ने वोटिंग में हिस्सा लिया। वहीं, 20 से 29 साल वाले मतदाताओं की संख्या 80 लाख 18 हजार 416 रही। अगर दूसरे और आखिरी फेज की 122 सीटों पर भी इसी तरह मतदान हुआ तो यह बिहार की राजनीति को पूरी तरह बदल सकती है।
एसआईआर ने बढ़ाई 3.75 प्रतिशत, महिला वोट 8.34, पुरुष वोट 7 प्रतिशत ज्यादा पड़े। इसबीच सत्ताधारी पार्टी का कहना है कि रिकॉर्ड मतदान महिला मतदाताओं के मजबूत समर्थन का संकेत है। ठीक वैसे ही जैसे 2015 और 2020 में हुआ था, जो आम तौर पर एनडीए और खास तौर पर नीतीश कुमार के पक्ष में है।
हालांकि, विपक्ष का दावा है कि यह बढ़ोतरी नीतीश के खिलाफ लोगों के गुस्से को दिखाती है, जिसमें वोटर सरकार बदलने की मांग कर रहे हैं। पार्टी नेताओं ने कहा कि 2015 में, 53.32 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 60.48 प्रतिशत महिलाओं ने वोट दिया था। 2020 में भी, 54.45 प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले 56.69 प्रतिशत महिलाओं ने वोट डाला था।
दोनों ही मौकों पर, जब महिलाओं ने पुरुषों से ज़्यादा वोट डाले, तो नीतीश मुख्यमंत्री बने। इस बार भी, महिलाओं के लिए उनके कल्याणकारी उपायों, जिसमें हाल ही में 10,000 रुपये का कैश ट्रांसफर भी शामिल है, ने एक बार फिर महिलाओं को बड़ी संख्या में एनडीए के लिए वोट देने के लिए आकर्षित किया है।
हालांकि, महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की राय अलग है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए हमारी माई-बहन योजना में 14 जनवरी, मकर संक्रांति के शुभ दिन से सालाना 30,000 रुपये (2,500 रुपये प्रति माह) देने का वादा किया गया है। इसने महिलाओं को महागठबंधन के लिए वोट देने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसके अलावा, युवा, जिनमें से कई पहली बार वोट डाल रहे हैं, एक ऐसी नई सरकार चाहते हैं जो रोज़गार दे और पलायन को रोके। रिकॉर्ड वोटिंग बदलाव के लिए वोट को दिखाती है। जिलावार मतदान प्रतिशत कुछ इस प्रकार रहा-बेगूसराय- 69.87 प्रतिशत, भोजपुर- 59.90 प्रतिश्त, बक्सर- 61.97 प्रतिशत, दरभंगा- 63.66 प्रतिशत, गोपालगंज- 66.64 प्रतिशत हैं।
खगड़िया- 67.90 प्रतिशत, लखीसराय- 64.98 प्रतिशत, मधेपुरा- 69.59 प्रतिशत, मुंगेर- 62.74 प्रतिशत, मुजफ्फरपुर- 71.81 प्रतिशत, नालंदा- 59.81 प्रतिशत, पटना- 59.02 प्रतिशत, सहरसा- 69.38 प्रतिशत, समस्तीपुर- 71.74 प्रतिशत, सारण- 63.86 प्रतिशत, शेखपुरा- 61.99 प्रतिशत, सीवान- 60.61 प्रतिशत और वैशाली- 68.50 प्रतिशत मतदान हुआ।
इसतरह कुल- 65.08 प्रतिशत मतदान होने से सियासी हलचल बढ गई है। सबसे ज्यादा मुजफ्फरपुर जिले में 71.81 प्रतिशत और सबसे कम पटना जिले में 59.02 फीसदी मतदान हुआ। खास बात यह है कि पहले चरण के चुनाव में कहीं भी किसी भी पार्टी या उम्मीदवार ने शिकायत नहीं की।
किसी भी सीट पर रिपोलिंग (पुनर्मतदान) नहीं होगी। 2020 के विधानसभा चुनाव में मतदान 57.29 प्रतिशत दर्ज किया गया था। वहीं, लोकसभा चुनाव 2024 में भी 56.28 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो इस बार विधानसभा चुनाव में पहले फेज के मुकाबले 8.8 फीसदी कम है।