आखिर क्यों अकेले चुनाव में उतरने से डर रहे असदुद्दीन ओवैसी?, लालू यादव और मुकेश सहनी को लिखा पत्र, महागठबंधन में शामिल करो

By एस पी सिन्हा | Updated: July 4, 2025 17:35 IST2025-07-04T17:33:38+5:302025-07-04T17:35:05+5:30

अख्तरुल ईमान ने अपने पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर राज्य में धर्मनिरपेक्ष मतों का बिखराव रोका जाना है, तो एआईएमआईएम को महागठबंधन का हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है।

bihar polls chunav Why Asaduddin Owaisi afraid contesting elections alone Wrote letter Lalu Yadav Mukesh Sahni ask join grand alliance | आखिर क्यों अकेले चुनाव में उतरने से डर रहे असदुद्दीन ओवैसी?, लालू यादव और मुकेश सहनी को लिखा पत्र, महागठबंधन में शामिल करो

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Highlightsमहागठबंधन में शामिल किया जाए। एआईएमआईएम ने महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश की थी।वरिष्ठ नेताओं से मौखिक और टेलीफोनिक बातचीत की है।

पटनाः असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) इस बार अकेले दम पर बिहार विधानसभा चुनाव में उतरने से डरने लगी है। यही कारण है कि एआईएमआईएम ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए महागठबंधन में शामिल होने की इच्छा जताई है। इसी कड़ी में एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रमुख मुकेश सहनी को एक खुला पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि पार्टी को महागठबंधन में शामिल किया जाए। अख्तरुल ईमान ने अपने पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर राज्य में धर्मनिरपेक्ष मतों का बिखराव रोका जाना है, तो एआईएमआईएम को महागठबंधन का हिस्सा बनाना बेहद जरूरी है।

उन्होंने यह तर्क दिया कि यदि विपक्षी वोटों का बंटवारा जारी रहा तो इसका सीधा लाभ सांप्रदायिक ताकतों को मिलेगा, जिसे आने वाले विधानसभा चुनाव में हर हाल में रोका जाना चाहिए। ईमान ने अपने पत्र में यह भी उल्लेख किया है कि इससे पहले 2020 के विधानसभा चुनाव और हालिया 2024 लोकसभा चुनाव के दौरान भी एआईएमआईएम ने महागठबंधन का हिस्सा बनने की कोशिश की थी।

हालांकि, उस समय कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया था। अख्तरुल ईमान का कहना है कि अगर सभी धर्मनिरपेक्ष पार्टियां एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगी तो भाजपा जैसी ताकतों को हराना आसान होगा और बिहार में महागठबंधन की सरकार बन सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने राजद, कांग्रेस और वाम दलों के कई वरिष्ठ नेताओं से मौखिक और टेलीफोनिक बातचीत की है।

और इस विषय पर चर्चा की है, लेकिन अब तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 20 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 5 सीटें जीती थीं। ये सभी सीटें सीमांचल इलाके से थीं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद एआईएमआईएम के चार विधायक राजद में शामिल हो गए थे।

अब पार्टी के पास केवल एक विधायक ही बचा है, वह खुद अख्तरुल ईमान हैं। ऐसे में अपनी डगमाती नैया को देखते हुए अब एआईएमआईएम चाहता है कि 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव में उसे महागठबंधन में शामिल किया जाए और सम्मानजनक सीटें दी जाएं, ताकि वोटों का बंटवारा न हो और एनडीए को चुनौती दी जा सके।

ऐसे में अब सवाल यह है कि क्या राजद और महागठबंधन एआईएमआईएम को अपने साथ लेंगे या नहीं? वैसे राजद की ओर से इस पूरे मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। सूत्रों के अनुसार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा था कि उन्हें एआईएमआईएम की ओर से कोई प्रत्यक्ष प्रस्ताव नहीं मिला है। अब सबकी निगाहें लालू यादव की प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।

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