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Bihar polls 2025: तेजस्वी यादव को सीएम का चेहरा घोषित करने में कांग्रेस कर रही है आनाकानी, सीट बंटवारे को लेकर भी तस्वीर साफ नहीं

By एस पी सिन्हा | Updated: September 23, 2025 17:34 IST

बैठक में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद ने बताया कि गठबंधन में कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसका फैसला हो गया है। इस दौरान उन्होंने बिहार में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के जरिए तेजस्वी यादव पर दबाव बनाने की कोशिश के आरोपों को खारिज कर दिया। 

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर मंगलवार को महागठबंधन में शामिल दलों की नेताओं की एक बैठक हुई। बैठक के बाद बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लवारू ने एक बार फिर सीएम के चेहरे को लेकर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। इस दौरान उन्होंने बिहार में पहली बार आयोजित होने जा रही कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक को लेकर कहा कि इस बैठक में बिहार और भारत की जनता से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। वहीं, बैठक में शामिल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद ने बताया कि गठबंधन में कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, इसका फैसला हो गया है। इस दौरान उन्होंने बिहार में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक के जरिए तेजस्वी यादव पर दबाव बनाने की कोशिश के आरोपों को खारिज कर दिया। 

हालांकि उन्होंने भी यह बताने से इनकार कर दिया कि बिहार में कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस दौरान उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर मुकेश सहनी की दावेदारी को लेकर उन्होंने कहा कि हर कोई अपनी बात रखता है। इसमें कुछ गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि मुकेश सहनी ने अपनी पार्टी की बात रखी है। इस बीच राजद ने साफ कहा है कि सहयोगी दल सीटों की मांग के साथ-साथ उम्मीदवारों की सूची भी सौंपें। 

इसबीच सूत्रों की मानें तो कांग्रेस ने सबसे पहले इस दिशा में कदम बढ़ाया और 76 सीटों पर दावा ठोकते हुए अपने उम्मीदवारों के नामों की पूरी सूची राजद के सामने रख दी। वहीं, वीआईपी ने 60 सीटों की दावेदारी तो की, मगर उम्मीदवारों की पूरी तस्वीर साफ नहीं की। करीब आधी सीटों पर ही उसने नाम दिए हैं। वाम दलों (भाकपा माले, माकपा और भाकपा) ने 40 सीटों की मांग की है और उम्मीदवारों की सूची भी राजद को सौंप दी है। जबकि राजद खुद भी कम से कम 130 सीटों पर मैदान में उतरने की तैयारी कर रहा है। 

इसके साथ ही दो नए सहयोगी रालोजपा और झामुमो की एंट्री भी महागठबंधन में पक्की मानी जा रही है। इन दलों को 6 से 8 सीटें मिल सकती हैं। दोनों से भी उम्मीदवारों की लिस्ट मांगी गई है। इस रणनीति के पीछे साफ मकसद है “जीत सुनिश्चित करना”। गठबंधन का मानना है कि जहां-जहां दावेदारी टकराएगी, वहां अंतिम फैसला शीर्ष नेता करेंगे और उसी उम्मीदवार को टिकट मिलेगा, जिसकी जीत की संभावना सबसे अधिक होगी। 

ज़रूरत पड़ी तो किसी उम्मीदवार को उसके दल के बजाय सहयोगी दल के सिम्बल पर भी मैदान में उतारा जा सकता है। ऐसे में बिहार की सियासत में अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि दशहरा तक महागठबंधन सीटों और उम्मीदवारों की जो फाइनल लिस्ट जारी करेगा, उसमें कौन किस जगह से मैदान में उतरेगा और किसका टिकट कटेगा।

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