पटनाः लोजपा(रामविलास) प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान क्या केन्द्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बिहार में अपनी सियासत चमकाएंगे? दरअसल, उन्होंने कहा है कि उनका मन अब दिल्ली की राजनीति में नहीं लगता और वह केंद्र की राजनीति में ज्यादा दिन तक नहीं रहना चाहते हैं। उनका मन अब बिहार की ओर खींच रहा है। उन्होंने बिहार की राजनीति में अपनी अहम भूमिका को लेकर इच्छा जाहिर की है। बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच चिराग पासवान का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है। बता दें कि चिराग पासवान लगातार ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ का अभियान चलाते रहे हैं।
ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि क्या चिराग पासवान बिहार चुनाव में बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं? क्या वह बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं? चिराग पासवान ने अपने बयान में कहा है कि उनके पिता रामविलास पासवान भले ही केंद्र में ज्यादा सक्रिय रहे हों, लेकिन उनकी खुद की पहली प्राथमिकता बिहार है। ऐसे में मुझे मेरा प्रदेश बुला रहा है।
हालांकि, उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि वह इस साल के आखिरी में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार नहीं बनेंगे। लेकिन 2030 के चुनाव से पहले वे पूरी तरह से बिहार की राजनीति में लौट आएंगे। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर कहा कि मुझे नहीं पता कि मैं मुख्यमंत्री बनूंगा या नहीं? लेकिन हां, अगर मुझे ऑप्शन मिलता है, तो जरूर मैं बिहार लौटना चाहूंगा।
चिराग ने कहा कि बिहार में उनकी सभाओं में युवाओं की भारी भीड़ उमड़ती है और यह भीड़ बताती है कि बिहार में अभी मेरी जिम्मेदारी बाकी है। कार्यकर्ता भी चाहते हैं कि वे राज्य में ज़्यादा वक्त बिताएं और वहां की राजनीति में सक्रिय होकर अपनी जिम्मेदारी निभाएं। उन्होंने कहा कि ये संकेत हैं कि जनता उन्हें जिम्मेदारी सौंपना चाहती है तो वह पीछे नहीं हटेंगे।
चिराग पासवान ने भरोसा जताया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा और बहुमत के साथ सरकार बनाएगा। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता को डबल इंजन सरकार पर भरोसा है, लेकिन उनके बयानों से ये साफ हो रहा है कि वे भविष्य में बिहार की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में हैं।
इस बीच चिराग पासवान इस बयान ने जहां बिहार की राजनीति में सरगर्मी बढ़ा दी है, वहीं एनडीए के भीतर भी उथल-पुथल मच सकती है। दरअसल, जदयू लगातार 2025 से 2030, एक बार फिर नीतीश, का नारे के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में जा रही है। वहीं, चिराग पासवान अगर बिहार की राजनीति में सक्रिय होते हैं तो एक नई तरह की राजनीति प्रदेश में और एनडीए के भीतर देखने को मिल सकती है।