Bihar Politics: जातीय जनगणना पर रार?, राहुल गांधी के बयान के बाद कांग्रेस-राजद में दूरी!, दिल्ली की तरह बिहार में अकेले लड़ेंगे विधानसभा चुनाव?
By एस पी सिन्हा | Updated: February 6, 2025 16:42 IST2025-02-06T16:40:37+5:302025-02-06T16:42:26+5:30
Bihar Politics: बुधवार के राहुल गांधी के दौरे के दौरान राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने पटना से ही गायब रहना बेहतर समझा, ताकि राहुल गांधी घर पर टपक ना पड़े।

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पटनाः लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बिहार दौरे के दौरान दोनों बार जातीय जनगणना पर बड़ा हमला किए जाने से सहयोगी दल राजद भी असहज महसूस करने लगी है। दरअसल, बिहार में हुए जातीय जनगणना का श्रेय खुद राजद लेती रही है। ऐसे में राहुल गांधी के द्वारा यह कहे जाने पर कि बिहार में हुआ जातीय जनगणना फर्जी है। लोगों को मूर्ख बनाया गया है। हमें तेलंगाना वाला जातीय जनगणना चाहिए। इसके बाद राजद को रक्षात्मक मुद्रा में आना पड़ा है। बता दें कि तेजस्वी यादव बिहार में जातीय जनगणना को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक मानते हैं।
राहुल गांधी के इस बयान के बाद राजद की सियासी धार कुंद होती दिखने लगी है। शायद यही कारण है बुधवार के राहुल गांधी के दौरे के दौरान राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने राजधानी पटना से ही गायब रहना बेहतर समझा ताकि राहुल गांधी उनके घर पर टपक ना पड़े। लालू यादव नालंदा चले गए थे तेजस्वी यादव ने दिल्ली का रुख कर लिया।
इस बीच राजद नेताओं ने यह कहकर राहुल गांधी का बचाव किया कि राहुल गांधी की बातों को गलत संदर्भ में पेश किया गया है। इसका दोष मीडिया पर फोड़ दिया गया। ऐसे में सियासी गलियारे में यह कहा जाने लगा है कि बिहार की जातीय जनगणना का तेजस्वी यादव और पूरा राजद समूह बखान कर अपनी उपलब्धि मानता है।
लेकिन राहुल गांधी ने एक झटके में उसकी हवा निकाल दी है। जानकारों की मानें तो लालू यादव खुलेआम कांग्रेस को आंख दिखाते हुए ममता बनर्जी को इंडिया ब्लॉक का नेतृत्व दिए जाने की हिमायत कर रहे हैं। ऐसे में अगर लालू यादव कांग्रेस को नीचे दिखाने की कोशिश करने लगे हैं तो राहुल गांधी राजद की हवा ही निकालने में जुट गए हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले 25 सालों से कांग्रेस बिहार में वहीं करती आ रही है, जो लालू यादव चाहते थे। यहां तक कि बिहार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की नियुक्ति भी लालू यादव के इशारे पर होता रहा है। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव या विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कहां से किस प्रत्याशी को टिकट देने जा रही है, लालू यादव ही दखल भी देते रहे हैं।
यही नहीं, कई बार वीटो पावर का इस्तेमाल कर प्रत्याशी बदलने को मजबूर कर देते थे। 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में पप्पू यादव को पूर्णिया से कांग्रेस का टिकट नहीं मिल पाया था और कन्हैया कुमार को बिहार से पलायन कर उत्तर पूर्वी दिल्ली सीट से चुनाव मैदान में कूदना पड़ा था।
अब चर्चा है कि राहुल गांधी विधानसभा चुनाव से पहले बिहार कांग्रेस में अपनी पकड़ ज्यादा मजबूत करना चाहते हैं। जिससे लालू यादव और कांग्रेस के बीच दूरे बढ़ती दिखने लगी है। संभव है कि लालू यादव की मर्जी के खिलाफ कांग्रेस कन्हैया कुमार और पप्पू यादव पर भरोसा जता सकती है। इससे लालू यादव की परेशानी बढ़ सकती है।
सियासत के जानकारों की मानें तो लालू यादव कांग्रेस के किसी नेता को विपक्ष के नेता के रूप में उभरने नहीं देना चाहते हैं। अगर कोई नेता उभरता है तो इसका सीधा खतरा राजद और तेजस्वी यादव को हो सकता है। लालू यादव जानते हैं कि कन्हैया कुमार अगर बिहार की राजनीति में आ गए तो फिर सबसे बड़ा खतरा तेजस्वी यादव को हो सकता है।