पटनाः बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा जहरीली शराब से हुई मौत के मामले में मुआवजा दिये जाने का ऐलान किये जाने के बाद राजनीतिक गलियारे में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। दरअसल, कुछ दिन पहले तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और तमाम मंत्री एक बात दोहरा रहे थे-"जो पियेगा,वो मरेगा।"
जहरीली शराब से मरने वालों के परिजनों को मुआवजा देने का सवाल कहां उठता है। लेकिन नीतीश कुमार के अचानक हुए हृदय परिवर्तन पर चर्चाएं शुरू हो गई हैं। राजनीति के जानकारों की मानें तो जो काम भाजपा साथ रहकर 13-14 माह में नहीं कर सकी, लेकिन वही काम पिछले 6-7 महीने में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कर दिखाया।
कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार का यह जो अचानक हृदय परिवर्तन हुआ है, यह राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव का कमाल है। जानकारों की मानें तो लालू यादव के दबाव में नीतीश कुमार को अपने कठोर निर्णय से पलटी मारी। कारण कि राजद का मानना है कि जहरीली शराब से मरने वाले सारे गरीब हैं और वही राजद के मतदाता हैं, ऐसे में लिहाजा उनके परिवार को मदद दी जानी चाहिये।
बिहार में 2016 से लेकर अब तक जहरीली शराब से मौत के आंकड़ों में खूब हेराफेरी हुई है। जहरीली शराब से मौत के हर वाकए में मृतकों की जितनी संख्या सामने आई, उसे सरकार ने खारिज कर दिया। सरकारी आंकड़ा कई गुणा कम रहा। जबकि 2016 से से लेकर अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से होने की बात सामने आ चुकी है।
हालांकि सरकार कुछ लोगों की मौत होने की ही बात मानती है। लेकिन जहरीली शराब से मौत के बाद लोगों में पनपे आक्रोश का अंदाजा राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को हो गया है। दरअसल, जहरीली शराब से ज्यादातर दलित और पिछड़े वर्ग के लोगों की मौत हो रही है। हर घटना के बाद लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।
महागठबंधन में शामिल दलों को लग रहा है कि उनके सियासी अरमान शराब में ही डूब कर खत्म हो जायेंगे। लिहाजा सात सालों तक चीखने-चिल्लाने के बाद नीतीश कुमार ने यू-टर्न मारा है। उल्लेखनीय है कि चार महीने विधानसभा में जहरीली शराब से मौत पर जबर्दस्त हंगामा हुआ था।
विधानसभा में जहरीली शराब पीकर मरने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा देने की मांग कर रहे भाजपा विधायकों पर मुख्यमंत्री आपा खो बैठे थे। बौखलाये नीतीश कुमार सदन के अंदर तू-तड़ाक पर उतर आये थे। उन्होंने कहा था कि जहरीली शराब से मौत पर मुआवजे की मांग करने वाले ही लोगों को शराब पिला रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हर जगह चीख- चीख कर कह रहे थे-"जो पियेगा, वह मरेगा। शराब पीकर मरने वालों पर कोई रहम नहीं होगा।" नीतीश कुमार ही नहीं बल्कि उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और सरकार के दूसरे मंत्री भी अड़े हुए थे-शराब पी कर मरने वालों को कोई मुआवजा नहीं मिलेगा। लेकिन आज अचानक से नीतीश कुमार ने यू टर्न मार लिया।
वाकया 14 दिसंबर 2022 का है, जब सारण जिले में जहरीली शराब पीने से लगभग सौ लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन इसबार मोतिहारी जिले में जहरीली शरान से हुई मौत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का रूख अचानक बदल गया। उन्होंने सोमवार की सुबह मुआवजा देने का ऐलान किया, उसके बाद राज्य सरकार ऐसे हरकत में आई जैसे जहरीली शराब से मरने वालों के परिवार के सबसे बडे हमदर्द वही हैं।
नीतीश के ऐलान के बाद सरकार ने तीन प्रेस कांफ्रेंस किए। संसदीय कार्य मंत्री विजय चौधरी ने मीडिया के सामने लंबी-चौड़ी सफाई दी। उसके बाद उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि कैसे मुआवजा मिलेगा और फिर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी के साथ मद्य निषेध विभाग के अपर मुख्य सचिव के.के. पाठक ने प्रेस कांफ्रेंस कर समझाया कि सरकार मुआवजा कैसे देगी। आनन फानन में इसका पत्र भी जारी कर दिया गया है और उसे जिला प्रशासन को भेज दिया गया है।