कोरोना के बढ़ते केस के बीच बिहार सरकार ने बदला नियम, अब इन 11 शहरों से आने वाले प्रवासियों को किया जाएगा क्वारंटाइन
By सुमित राय | Published: May 23, 2020 09:39 AM2020-05-23T09:39:59+5:302020-05-23T10:49:24+5:30
बिहार सरकार ने 11 शहरों की लिस्ट जारी की है, जहां से आने वाले प्रवासी मजदूरों को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जाएगा।
कोरोना वायरस का कहर बिहार में लगातार बढ़ता जा रहा है और राज्य में अब तक 2177 लोग इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के बीच बिहार सरकार ने प्रवासियों के क्वारंटाइन सेंटर भेजने के नियम में बदलाव किया है और फैसला किया है कि सिर्फ हाई और मिडियम रिस्क वाले शहरों से लौटे लोगों को ही क्वारंटाइन किया जाएगा।
बिहार सरकार ने हाई रिस्क और मिडियम रिस्क वालें शहरों में सूरत, दिल्ली, मुंबई, पुणे, अहमदाबाद, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुड़गांव, कोलकाता, नोएडा और बेंगलुरु को रखा है। इन शहरों से आने वाले लोगों को क्वारंटाइन सेंटर भेजा जाएगा, जबकि अन्य शहरों से आने वाले प्रवासियों को होम क्वारंटाइन किया जाएगा। हालांकि जिला मजिस्ट्रेट कोरोना वायरस के संक्रमण के रुझानों के आधार पर इस लिस्ट में किसी भी शहर को जोड़ सकते हैं।
सभी डीएम, एसएसपी और एसपी को लिखे पत्र में आपदा प्रबंधन प्रमुख सचिव प्रत्यय अमृत ने कहा, "जिन्हें होम क्वारंटाइन में भेजा जाएगा, उन्हें क्वारंटाइन नियमों का पालन करने के लिए एक सेल्फ अटेस्टेड फॉर्म भरना होगा। इसके अलावा 11 हाई और मिडियम रिस्क वाले शहरों के प्रवासियों को 14 दिनों के क्वारंटाइन के बाद के बाद छुट्टी दे दी जाएगी और उसके बाद वे 7 दिन होम क्वारंटाइन में रहेंगे।"
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए प्रत्यय अमृत ने बताया, "हमने संक्रमण के पैटर्न को देखने के बाद निर्णय लिया है।" यह पूछे जाने पर कि क्या गैर-श्रमिक ट्रेनों से आने वालों के साथ भी सरकार समान क्वारंटाइन नियम लागू करेगी? इस पर अमृत ने कहा, "यह आवश्यक नहीं है। यदि किसी भी यात्री को कोविड संक्रमण के बारे में कोई आशंका है, तो उसका परीक्षण किया जाएगा... किसी को भी घबराने की आवश्यकता नहीं है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बिहार में अब तक 2177 लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिसमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है और 629 मरीज ठीक होकर घर लौट चुके हैं। बताया जा रहा है कि इनमें से 72 फीसदी मामले प्रवासियों में सामने आए हैं।