पटना:बिहार में मानसून के प्रवेश का असर नदियों के जलस्तर पर पड़ा है। नेपाल और सीमांचल में लगातार बारिश के बाद सूबे की नदियों का एक बार फिर से बढ़ना तेज हो गया है। कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ ही कोसी के अंदर बसने वाले गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। कोसी नदी के जलस्तर में उतार-चढ़ाव होने को लेकर तटबंध के अंदर के लोगों की परेशानी बढ़ने लगी है।
वहीं खेतों में लहलहाती फसल डूबने लगी है। घर-आंगन में पानी के घुसने से लोग परेशान हैं। दुबियाही के बेलगोठ में विगत दस दिनों के अंदर 80 परिवार के 150 घर से अधिक घर कोसी में विलीन हो गये हैं। कोसी प्रभावित पंचायतों में लोगों के सैकडों एकड़ खेत में पानी घुसने से मूंग एवं धान का बिचदा खराब हो रहा है।
उधर, बिहपुर से फूलोत तक कोसी नदी पर बन रहे पुल का एक 124 नंबर पाया (कुंआ) हरिओ के त्रीमुहान घाट के समीप कोसी नदी के तेज बहाव में बह गया। पाया का वजन 1400 टन था और इससे 2 करोड 27 लाख रुपए का नुकसान हुआ है।
कोसी नदी पर पुल 996 करोड़ की लागत से बन रहा है। कोसी की मुख्य धारा में चार पाया (कुंआ) हैं, जिसमें एक पाया बह गया। कोसी नदी पर पुल मुंबई की एफकॉन कंपनी बना रही है। इस बीच, कोसी और बागमती के साथ–साथ कमला बलान और ललबकिया नदियां भी खतरे के निशान को पार कर गई है। इधर गंगा नदी का जलस्तर केवल पटना में बढ रहा है।
गंगा का जलस्तर पटना से पहले इलाहाबाद, वाराणसी, बक्सर में जबकि पटना से आगे मुंगेर, भागलपुर में नीचे है। लेकिन पटना के तीनों स्थानों दीघाघाट, गांधीघाट और हाथीदह पर गंगा में पानी बढ़ता जा रहा है। दरअसल, गंडक और घाघरा में पिछले 72 घंटे से पानी बढ़ा है। दोनों नदियों का पानी गंगा में पहुंच रहा है। इन दोनों नदियों के पानी के कारण ही गंगा पटना में लगातार ऊपर बढ़ रही है।
उधर, ललबकिया भी पूर्वी चंपारण के ढाका में खतरे के निशान को पार कर गई। इन सभी स्थानों पर नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गंडक नदी गोपालगंज, मुजफ्फरपुर और वैशाली में तो कोसी सुपौल और खगडिया में लगातार बढ़ रही है।