पटना, 5 जून: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्य में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के चेहरे के तौर पर पेश किए जाने की जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) की मांग के बाद नीतीश ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि अगले साल के लोकसभा चुनावों में राज्य में एनडीए का चेहरा कौन होगा।
इससे पहले, दिन में उप-मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश राज्य सत्ताधारी गठबंधन के नेता हैं और एनडीए 2019 के आम चुनावों में जदयू अध्यक्ष नीतीश और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कामों के आधार पर वोट मांगेगा। लेकिन जेडीयू यहां पूरी तरह से नीतीश के नाम पर चुनाव लड़ना चाह रहा है।
अंदरखाने ऐसी चर्चा है कि नरेंद्र मोदी बिहार के पिछले चुनाव में पूरा दम लगाने के बाद भी कोई कमाल नहीं कर पाए थे। इतना ही नहीं बीजेपी के हालिया प्रदर्शन को लेकर भी बिहार में जदयू अपने नेता को ही आगे रखना चाहती है। हाल ही में कर्नाटक में जेडीयू ने अपने करीब 30 उम्मीदवार उतारे थे, जिनकी टक्कर बीजेपी उम्मीदवारों से भी थी।
2019 में विपक्ष एकजुट हुआ तो इन 3 में से कोई एक होगा PM पद का उम्मीदवार
उल्लेखनीय है कि साल 2014 के लोकसभा चुनावों के ऐन पहले नीतीश कुमार ने जेडीयू को एनडीए से अलग कर लिया था। इसके पीछे प्रमुख कारण नरेंद्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाया जाना बताया गया। कहा जाता है कि नीतीश कुमार नरेंद्र मोदी के पीएम पद के उम्मीदवार बनाए जाने से खिन्न थे। इसके बाद साल 2015 में बिहार विधानसभा चुनावों में नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल से हाथ मिलाकर बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
ऐसे में जब वे राज्य में बीजेपी के सहयोग से सरकार चला रहे हैं और आगामी कुछ महीनों बाद एक बार फिर से लोकसभा चुनाव होने जा रहे हैं तो नीतीश को राज्य में एनडीए का चेहरा बनाए जाने की मांग उठ गई है।
इफ्तार पार्टी में गए नीतीश ने पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह एक खास मौका है जब मैं सभी के चेहरे पर खुशी देखना चाहूंगा। किसी और चेहरे के बारे में कृपया अभी सवाल नहीं करें।’’
पत्रकार मुख्यमंत्री की ओर से आयोजित इफ्तार पार्टी में शामिल होने आए थे। नीतीश ने कहा, ‘‘आपके सभी सवालों के जवाब उचित समय पर दिए जाएंगे। अभी दुआ करें कि रमजान का महीना बिहार में अमन-चैन लेकर आए।’’
(भाषा के इनपुट से)