2019 में विपक्ष एकजुट हुआ तो इन 3 में से कोई एक होगा PM पद का उम्मीदवार
By खबरीलाल जनार्दन | Published: June 4, 2018 12:44 PM2018-06-04T12:44:47+5:302018-06-04T13:12:39+5:30
कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यह कह चुके हैं कि वे देश के प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं।
नई दिल्ली, 4 जूनः कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी यह कह चुके हैं कि वे देश के प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हैं। लेकिन उसी कर्नाटक में कांग्रेस ने यह भी साबित कर दिया कि वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को सत्ता से दूर रखने के लिए कोई भी कीमत चुकाने को तैयार है। जिस कर्नाटक में बिना शर्त सिद्धारमैया कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार थे, उसी कर्नाटक में कांग्रेस ने एचडी कुमारस्वामी को बिना शर्त मुख्यमंत्री बना दिया। ऐसे में यह कहना कतई अतिश्योक्ति नहीं होगा कि 2019 में बीजेपी का तख्तापलट करने के लिए कांग्रेस अपने सारे दांव अपनाएगी। ऐसे में जिन संभावित चेहरों पर एकजुट विपक्ष 2019 में दांव खेल सकता है, वो ये तीन हैं-
पीएम पद उम्मीदवार राहुल गांधी होंगे या नहीं?
राहुल गांधी ने कर्नाटक में खुद को प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार बताकर, अपनी पीएम पद को लेकर दावेदारी ठोंक दी है। लेकिन एकजुट विपक्ष उन्हें अपना नेता स्वीकरता है या नहीं, यह विचारणीय है। तथ्यों और बहस-मुबाहिसों की ओर बढ़ें तो पाएंगे कि राहुल गांधी को अब तक सिवाय गांधी परिवार का वंशज होने की कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी है। इसके लिए वे लगातार संघर्षरत हैं। वह करीब डेढ़ दशक से मुख्यधारा की राजनीति में सक्रिय हैं। लेकिन संयुक्त विपक्ष उनके नाम को लेकर फिलहाल सहज दिखाई नहीं देता। फिर दूसरे और नाम कौन से हैं?
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ममता बनर्जी हो सकती हैं सयुक्त विपक्ष पीएम उम्मीदवार?
कुछ दिनों पहले ही ममता बनर्जी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केचंद्रशखर राव से मुलाकात कर तीसरे मोर्च की विकल्पों पर बात की थी। तीसरे मोर्चे का मतलब है बीजेपी और कांग्रेस से अलग एक गठबंधन। इससे एक बात साफ हो गया था कि पश्चिम बंगाल की सीएम कांग्रेस के साथ आने में बहुत सहज नहीं हैं। लेकिन कांग्रेस इस वक्त किसी को टूटने देने के फिराक में नहीं है। यही कारण था कि कर्नाटक में कुमारस्वामी के शपथ ग्रहण में ममता भी पहुंची थीं। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में ममता का प्रमुख नेता के तौर पर बनकर उभरना किसी को हतप्रभ नहीं करेगा।
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दलित कार्ड खेलेगा संयुक्त गठबंधन, मायावती होंगी पीएम कैंडिडेट?
बीते लोकसभा चुनावों में अपने गढ़ उत्तर प्रदेश में एक सीट ना जीत पाने वाली बहुजन समाज पार्टी पिछले छह महीने में नये सिरे से उभरी है। एक पार्टी जिसे कभी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो गया था, उसके बाद ऐसा पतन हुआ कि यूपी में ही बेड़ा गर्क हो गया, अब उसने नई राजनीति शुरू की है। मायावती खुद को अभी भी दलितों की प्रमुख नेता मानती हैं। इसका उन्हें फायदा मिल रहा है। यूपी में बीजेपी के अभेद किले गोरखपुर जैसी सीट पर सपा जीत का काफी कुछ श्रेय मायावती को जाते दिखा। इसके बाद वह अचानक से कर्नाटक में संकटमोचक बनकर उभरीं। वह कर्नाटक में जनता दल सेक्यूलर के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही थीं। उन्होंने वहां एक सीट जीती भी। लेकिन जब बारी आई कर्नाटक में सरकार बनाने का तो उन्होंने ने ही सबसे पहले जेडीएस को कांग्रेस के साथ आने के लिए कहा।