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बिहार में नगर निकाय चुनावः आरक्षण मामला ईबीसी कमीशन के समक्ष भेजो, हाईकोर्ट ने महागठबंधन सरकार को दिया झटका

By एस पी सिन्हा | Updated: October 19, 2022 18:55 IST

बिहारः हाईकोर्ट ने नगर निकाय आरक्षण मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को ईबीसी कमीशन के समक्ष भेजने के लिए कहा है।

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ठळक मुद्देसरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे़ वर्ग के राजनीतिक पिछडे़पन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है। बिहार में नगर निकाय का चुनाव कराया जा सकेगा। सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता विकास सिंह एवं वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने रखा।

पटनाः बिहार के नगर निकाय चुनावों में पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग को आरक्षण का लाभ दिए जाने के मसले पर पटना हाईकोर्ट में आज बुधवार को सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश संजय करोल की खंडपीठ ने राज्य सरकार व अन्य की पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई की।

राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि अति पिछडे़ वर्ग के राजनीतिक पिछडे़पन के लिए एक विशेष कमीशन का गठन किया गया है। हाईकोर्ट ने नगर निकाय आरक्षण मामले में दायर पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को ईबीसी कमीशन के समक्ष भेजने के लिए कहा है और ईबीसी कमीशन को सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित दिशा निर्देशों के आलोक में रिपोर्ट देना है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि ईबीसी आयोग का रिपोर्ट आने के बाद ही, बिहार में नगर निकाय का चुनाव कराया जा सकेगा। हाईकोर्ट ने इस मामले को राज्य सरकार के अंडरटेकिंग के आलोक में निष्पादित कर दिया। सुनवाई में राज्य सरकार का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता विकास सिंह एवं वरीय अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने रखा।

वरीय अधिवक्ता विकास सिंह ने मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ द्वारा पूर्व में पारित आदेश में त्रुटि बताते हुए  कोर्ट को बताया कि आरक्षण का प्रावधान केवल ईबीसी के लिए है न कि ओबीसी के लिए। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश ने चुनाव आयोग से जानना चाहा कि ओबीसी एवं ईबीसी के अलावा समान्य वर्ग का चुनाव क्यों नहीं कराया जा सका?

इस पर आयोग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता दिनेश द्विवेदी ने बताया कि  बार बार चुनाव कराना अपने आप में एक बेहद कठिन कार्य है। उन्होंने चुनाव आयोग के खिलाफ की गई कोर्ट की टिप्पणियों को पारित फैसले से हटाने की गुहार की। 

बता दें कि नगर निकाय चुनाव में ईबीसी आरक्षण पर 4 अक्टूबर को पटना हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। इसमें कोर्ट ने निकाय चुनाव में ईबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव चुनाव को स्थगित कर दिया था। इसके बाद राज्य सारकार ने हाईकोर्ट में पुर्नविचार याचिका दायर की थी।

उल्लेखनीय है कि बिहार में नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना पहले ही जारी हो गई थी। उम्‍मीदवार नामांकन पत्र दाखिल कर चुके थे। 10 अक्‍टूबर को होने वाले पहले चरण के चुनाव के लिए चुनाव चिह्न भी आवंटित कर दिए गए थे। उम्‍मीदवार चुनाव प्रचार में जोर-शोर से लगे थे। इसी बीच पटना हाई कोर्ट के फैसले से सबकुछ फंस गया। 

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