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क्या मुजफ्फरपुर में 48 बच्चों की मौत लीची खाने की वजह से हुई है?

By पल्लवी कुमारी | Updated: June 14, 2019 14:40 IST

बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम  (AES) से साल 2019 में जनवरी से अब तक  179 संदिग्ध मिले हैं। बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एसकेएमसीएच अस्पताल का दौरा कर मरीजों का हालचाल जाना। 

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ठळक मुद्देबिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम  (AES) से हो रही इन मौतों की वजह लीची हो सकती हैबिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को इस बात की सलाह दी है कि वो अपने बच्चों को लीची ना खिलाये।

बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम  (AES) से 48 बच्चों की मौत हो गई है।  मुजफ्फरपुर जिले के श्रीकृष्णा मेडिकल कॉलेज ऐंड हॉस्पिटल में अभी तक 46 बच्चों की मौत हुई है। इसके अलावा केजरीवाल मातृ सदन (केएमएस) में कुछ बच्चों की मौत हुई है। इन अस्पतालों में अभी इस वायरस एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम  (AES) से पीड़ित बच्चे भर्ती हैं। बिहार में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम  (AES) से साल 2019 में जनवरी से अब तक  179 संदिग्ध मिले हैं। लेकिन बिहार प्रशासन अब-तक इस वायरल का तोड़ नहीं निकाल पाई है। हालांकि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने एसकेएमसीएच का दौरा कर मरीजों का हालचाल जाना। 

अंग्रेजी वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, बिहार में बच्चों के मौतों के कारणों की जांच के लिए बुधवार (12 जून) को स्वास्थ्य विशेषज्ञों की सात सदस्यीय केंद्र सरकार की टीम मुजफ्फपुर पहुंची है। बिहार के स्वास्थय अधिकारियों ने ये दावा किया है कि ज्यादातर मौतें हाइपोग्लाइसीमिया की वजह से हुई है। हाइपोग्लाइसीमिया में इंसान के शरीर में शुगर की कमी हो जाती है। अधिकारियों के मुताबिक, शुगर की कमी की वजह बढ़ती गर्मी है। लेकिन इसी बीच बिहार के मुजफ्फरपुर का नामी फल लीची विवादों में आ गया है। 

बिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञों द्वारा कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में ये दावा किया गया था कि मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम  (AES) से हो रही इन मौतों की वजह लीची हो सकती है। असल में लीची में एक 'टॉक्सिट सब्सटांस' पाया जाता है। जो शरीर के लिए हानिकारक है। मुजफ्फरपुर में मरने वालों लोगों में भी ये  'टॉक्सिट सब्सटांस' कॉमन है। 

टाइम्स ऑफ इंडिया में यह भी दावा किया गया है कि गर्मियों के दौरान इस इलाके के गरीब परिवारों से संबंधित बच्चों को आमतौर पर नाश्ते में लीची खाते हैं। लीची बच्चों में मेटाबॉलिक नाम की बीमारी को बढ़ावा देता है। इसे मेडिकल टर्म में हाइपोग्लाइसीमिया इंसेफेलोपैथी कहा जाता है।  स्वास्थ्य विशेषज्ञों का यह भी दावा है कि लीची में मिथाइल साइक्लोप्रोपाइल-ग्लाइसिन (MCPG) नाम का एक केमिकल भी पाया जाता है। जो शरीर में दिमाग और शूगर लेवल को बढ़ाता है। 

बिहार के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने लोगों को इस बात की सलाह दी है कि वो अपने बच्चों को लीची ना खिलाया करें, वो भी खासकर नाश्ते में खाली पेट। अगर वो खिलाते भी हैं तो उसकी मात्रा कम कर दें।  

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