पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर महागठबंधन के सभी दलों में आम सहमति बन गई है। शनिवार शाम को महागठबंधन के सभी दलों के नेता ने एक मंच पर आए और सीट शेयरिंग को लेकर ऐलान किया।
इस दौरान मंच पर तेजप्रताप के बगल में बैठे विकासशील इंसान पार्टी के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने माइक से कुछ ऐसा बयान दिया कि महागठबंधन के सभी नेता थोड़ी देर के लिए आश्चर्यचकित रह गए।
दरअसल, मुकेश सहनी ने महागठबंधन छोड़ने का ऐलान करते हुए कहा कि राजद ने अति पिछड़ों के पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है। उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा समाज से होने के कारण राजद ने धोखा दिया है।
उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के लोग राजद को इस चुनाव में इसका जवाब देंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वह जल्द आगे की योजना को लेकर मीडिया के सामने आकर अपनी बात रखेंगे।
बता दें कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए महागठबंधन में सीटों का बंटवारा हो गया है। बिहार में 243 विधानसभा सीट है। राजद 144 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। कांग्रेस को 70 सीट मिली हैं। 2015 में कांग्रेस, राजद और जदयू मिलकर चुनाव लड़े थे। लेफ्ट दल को 29 सीट मिली हैं। वाल्मिकीनगर सीट पर उपचुनाव होने को है। यह सीट कांग्रेस को दी गई है। तेजस्वी यादव ने कहा कि 10 लाख नौकरियां देंगे।
एनडीए की हार हुई थी। इस बार जदयू भाजपा के साथ हैं। महागठबंधन के सभी दलों के प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई(माले), सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी महागठबंधन का हिस्सा हैं। राजद के तेवर सहयोगियों की नाराजगी के बाद नरम पड़े हैं। इतना ही नहीं वाम दल भी महागठबंधन का हिस्सा हो सकते हैं।
महागठबंधन और एनडीए में सीट को लेकर खींचतान मची हुई है। लालू यादव, सोनिया गांधी ने मिलकर मोर्चा संभाल लिया है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल के कारण मामला बिगड़ गया था। बाद में राहुल गांधी और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने फोन पर बात कर स्थिति को संभाल लिया।
महागठबंधन से कई दल बाहर हो गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ दी और बसपा से साथ गठबंधन कर लिया। पूर्व सीएम जीतम राम मांझी भी महागठबंधन जहाज से उतर गए। मांझी एनडीए खेमे में आ गए। विधानसभा की 243 सीटों में से राजद 144 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। कांग्रेस को 70 सीटें मिली हैं। 2015 में राजद 100 सीटों पर जबकि, कांग्रेस 43 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।
इसमें राजद ने 80 तो कांग्रेस ने 27 सीटें पर जीत दर्ज की थी। गौरतलब है कि बिहार विधानसभा की 243 सीटों के लिए तीन चरणों में 28 अक्टूबर, तीन नवंबर और सात नवंबर को मतदान होगा और 10 नवंबर को मतगणना होगी। चुनाव तिथियों की घोषणा के बाद भी अब तक कांग्रेस और राजद के बीच सीटों के तालमेल को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। 2015 के विधानसभा चुनाव में आरजेडी 101, जेडीयू 101 और कांग्रेस 41 सीटों पर चुनाव लड़ी थी।
जेडीयू तब महागठबंधन का हिस्सा थी, लेकिन इस चुनाव में वो अपने पुराने साथी बीजेपी के साथ है और NDA का अहम हिस्सा है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही NDA इस बार चुनाव लड़ रही है।गौरतलब है कि राज्य में 28 अक्टूबर से शुरू होने वाले चुनाव में आरजेडी और कांग्रेस महागठबंधन का मुकाबला नीतीश के नेतृत्व में चुनाव लड़ने वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से है। बिहार कांग्रेस प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री युवा तेजस्वी यादव में अनुभव की कमी है। अगर लालू प्रसाद यादव जेल में नहीं रहते तो यह मामला सुलझ गया होता। गोहिल ने चेतावनी दी कि कांग्रेस व आरजेडी के अलग-अलग चुनाव लड़ने पर आरजेडी को नुकसान होगा।