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बिहार: मगध विश्वविद्यालय के कुलपति के पास 30 करोड़ से अधिक की संपत्ति बरामद, राजभवन भी आया सवालों के घेरे में, भाजपा विधायक ने उठाए सवाल

By एस पी सिन्हा | Updated: November 20, 2021 15:32 IST

भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इस प्रकरण के लिए राजभवन को जिम्मेदार बताया है। जिसके कारण ऐसे भ्रष्ट और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को एक बडे संस्थान की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है।

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ठळक मुद्देमगध विश्वविद्यालय के कुलपति के पास 30 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति की बरामदगी।भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इस प्रकरण के लिए राजभवन को जिम्मेदार बताया है।कोई भी विश्वविद्यालय ऐसा नहीं है, जहां के कुलपति और रजिस्ट्रार की स्वच्छ छवि हो।

पटना:बिहार में बोधगया स्थित मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के पास 30 करोड़ से अधिक की अवैध संपत्ति की बरामदगी से अब राजभवन भी सवालों के घेरे में आ गया है।

भाजपा विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू ने इस प्रकरण के लिए राजभवन को जिम्मेदार बताया है। जिसके कारण ऐसे भ्रष्ट और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों को एक बडे संस्थान की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है।

भाजपा विधायक ने कहा कि राजभवन के अधिकारियों की गलती के कारण ऐसे सम्मानित जगहों को भी लोग अब संशय की नजर से देखने लगे हैं। जिसे कहीं से भी सही नहीं कहा जा सकता है।

ज्ञानू ने कहा कि जो लोग इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, उन्हें यह समझना चाहिए कि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका नहीं होती है। यह सारी नियुक्ति राजभवन से की जाती है।

ऐसे में यह राजभवन की जिम्मेदारी है कि वह ऐसे भ्रष्ट लोगों को कुलपति के पद पर नियुक्त नहीं करे। लेकिन, अफसोस इस बात का है कि राजभवन से इस बात को पूरी तरह दरकिनार किया जा रहा है। वहां काम करने वाले अधिकारी विश्वविद्यालयों में ऐसे लोगों की नियुक्ति हो रही है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।

भाजपा विधायक ने कहा कि आज बिहार में कोई भी विश्वविद्यालय ऐसा नहीं है, जहां के कुलपति और रजिस्ट्रार की स्वच्छ छवि हो। राजभवन के अधिकारियों के कारण राज्यपाल के पद को गरिमा को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है।

ज्ञानू ने कहा कि आश्चर्य की बात यह है कि इस बड़ी छापेमारी के बाद भी राजभवन से मगध विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाने को लेकर कोई आदेश जारी नहीं हुआ है। जबकि खुद बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी इस संबंध में दो बार कुलपति को हटाने की मांग कर चुके हैं।

ऐसे में जबकि सारी बातें स्पष्ट हो चुकी हैं तो फिर भी उन्हें पद से क्यों नहीं हटाया जा रहा है? राजभवन से कार्रवाई में हो रही देरी कहीं-न कहीं अधिकारियों की मंशा पर सवाल खड़ा कर रहा है।

टॅग्स :बिहारUniversityRaj Bhavan
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