Bihar News: मदरसों में कट्टरपंथी पाठ्यक्रम 'तालिमुल-इस्लाम'!, एनसीपीसीआर ने उठाया सवाल, जानें कहानी
By एस पी सिन्हा | Updated: August 20, 2024 16:29 IST2024-08-20T16:26:14+5:302024-08-20T16:29:26+5:30
Bihar madrasa pakistani book talimul islam News: प्रियंक कानूनगो ने बिहार के इन मदरसों में दाखिल हिंदू बच्चों को लेकर चिंता जताते हुए बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि ऐसे छात्रों की संख्या के बारे में आधिकारिक आंकड़े छिपा रही है।

सांकेतिक फोटो
पटनाः बिहार में संचालित मदरसों में पाकिस्तान की किताबें पढ़ाए जाने की बात भी सामने आने के बाद सियासी हलचल बढ़ गई है। दरअसल, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बिहार सरकार द्वारा वित्त पोषित मदरसों में कट्टरपंथी पाठ्यक्रम 'तालिमुल-इस्लाम' नाम की पुस्तक जाने को लेकर चिंता जाहिर की है। इस किताब में गैर-मुस्लिमों को काफिर बताया गया है। वहीं, इन मदरसों में हिंदू बच्चों के दाखिला लेने की भी खबर सामने आई है। प्रियंक कानूनगो ने बिहार के इन मदरसों में दाखिल हिंदू बच्चों को लेकर चिंता जताते हुए बिहार सरकार पर आरोप लगाया है कि ऐसे छात्रों की संख्या के बारे में आधिकारिक आंकड़े छिपा रही है। उन्होंने लिखा है कि बच्चों के संरक्षण के नाम पर दान में मिले और सरकारों से ग्रांट मिले पैसे से कट्टरवादी पाठ्यक्रम बनाना यूनिसेफ का काम नहीं है। कानूनगो ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रिसक्राइब्ड पाठ्यक्रम में शामिल अनेक किताबें पाकिस्तान में छपवाई जाती हैं, इनके कांटेंट पर शोध जारी है।
मदरसा किसी भी रूप में बच्चों की बुनियादी शिक्षा का स्थान नहीं है, बच्चों को स्कूल में पढ़ना चाहिए और हिंदू बच्चों को तो मदरसों में होना ही नहीं चाहिए, मदरसा बोर्ड भंग कर देने चाहिए। जानकारों की मानें तो 'तालिमुल-इस्लाम' नाम की पुस्तक में गैर मुस्लिमों को काफिर बताया जाता है। काफिरों को बख्शा नहीं जाएगा जैसी लाइनें किताबों में लिखी गई है।
तालिम उल इस्लाम नाम की पुस्तक में साफ तौर पर काफिर शब्द है और इसका अर्थ बताया गया है। पुस्तक के पेज नंबर 9 पर इसके तहत गैर मुस्लिमों को नहीं बख्शने की बात कही गई है। वहीं बिहार मदरसा बोर्ड ने बताया कि मदरसे का पाठ्यक्रम यूनिसेफ इंडिया ने तैयार किया है।
मदरसा बोर्ड के सचिव सईद अंसारी ने बताया बैठक कर फैसला लेंगे। इस बीच एनसीपीसीआर के अध्यक्ष के द्वारा मदरसों पर सवाल उठाए जाने को लेकर बिहार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान ने कहा कि बिहार में ऐसा कुछ नहीं है और न ही देश में है ऐसा कुछ है।
जिस काफिर शब्द पर विवाद है, इसका मतलब है जो खुदा को, भगवान को और ईश्वर को नहीं मानता वह काफिर है। उन्होंने बिहार के मदरसों को क्लीन चिट देते हुए कहा कि ऐसा कहीं नहीं है, बिहार में और इसको चैलेंज करता हूं।