बिहार: शराबबंदी कानून के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर जुर्माना 50 हजार से घटाकर 2000 से 5000 तक किया गया

By विशाल कुमार | Updated: April 5, 2022 09:38 IST2022-04-05T09:37:18+5:302022-04-05T09:38:24+5:30

बिहार मद्य निषेध एवं आबकारी संशोधन 2022 के अनुसार यदि पहली बार अपराध करने वाला व्यक्ति जुर्माना अदा करने में विफल रहता है तो उसे एक माह की कैद हो सकती है। दूसरी बार अगर पकड़े जाते हैं तो अर्थदंड नहीं लगाकर अनिवार्य रूप से एक साल के कारावास की सजा होगी। 

bihar-liquor-ban-fine-first-time-offenders-reduced-prohibition | बिहार: शराबबंदी कानून के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर जुर्माना 50 हजार से घटाकर 2000 से 5000 तक किया गया

बिहार: शराबबंदी कानून के तहत पहली बार दोषी पाए जाने पर जुर्माना 50 हजार से घटाकर 2000 से 5000 तक किया गया

Highlights2018 के संशोधन के अनुसार, पहली बार अपराधियों के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना था।राज्य विधानसभा के बजट सत्र में पारित किए गए संशोधन में जुर्माने की राशि का विवरण नहीं दिया गया था।दूसरी बार अगर पकड़े जाते हैं तो अनिवार्य रूप से एक साल के कारावास की सजा होगी। 

पटना: बिहार में शराबबंदी कानून में किए गए एक नए संशोधन में, यह निर्णय लिया गया कि पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने वालों को जुर्माना भरने के बाद रिहा किया जाएगा।

इससे पहले राज्य विधानसभा के बजट सत्र में पारित किए गए संशोधन में जुर्माने की राशि का विवरण नहीं दिया गया था। सोमवार को राज्य कैबिनेट ने जुर्माने की नई राशि को मंजूरी दे दी।

राज्य में पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने वालों को कार्यकारी मजिस्ट्रेट के निर्णय के अनुसार 2,000 रुपये से 5,000 रुपये के बीच जुर्माना देकर रिहा किया जाएगा। इससे पहले, 2018 में किए गए एक संशोधन के अनुसार, पहली बार अपराधियों के लिए 50,000 रुपये का जुर्माना था।

बिहार मद्य निषेध एवं आबकारी संशोधन 2022 के अनुसार यदि पहली बार अपराध करने वाला व्यक्ति जुर्माना अदा करने में विफल रहता है तो उसे एक माह की कैद हो सकती है। दूसरी बार अगर पकड़े जाते हैं तो अर्थदंड नहीं लगाकर अनिवार्य रूप से एक साल के कारावास की सजा होगी। 

गौरतलब है कि पिछले कुछ हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में शराबबंदी कानून को लेकर राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा था। सुप्रीम कोर्ट ने अदालतों में शराब के मामलों, विशेष रूप से जमानत से संबंधित मामलों को लेकर राज्य को फटकार लगाई थी।

आलोचनाओं का सामना करने के बाद, राज्य सरकार ने इस नए संशोधन को लागू किया और जुर्माने की राशि को कम कर दिया ताकि बिहार में कानूनी व्यवस्था शराब के मामलों से अधिक न हो।

मुख्यमंत्री द्वारा राज्य की महिलाओं को वादा करने के एक साल बाद अप्रैल 2016 में नीतीश कुमार सरकार द्वारा शराब की बिक्री और खपत पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था।

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