बिहार विधानसभाः कांग्रेस के मुस्लिम विधायक शकील अहमद ने संस्कृत भाषा में शपथ ले कर सबको चौंकाया, कहा-क्लासिक भाषा है
By एस पी सिन्हा | Published: November 23, 2020 09:23 PM2020-11-23T21:23:58+5:302020-11-23T21:25:18+5:30
कदमा से कांग्रेस के विधायक शकील अहमद ने सदस्यता की शपथ संस्कृत भाषा में ली. भारत विविधताओं का देश है और यहां सभी जुबान है बोली जाती हैं संस्कृत भी भारत की भाषा है और मैंने इसीलिए संस्कृत में शपथ ली.
पटनाः बिहार विधानसभा में नव निर्वाचित विधायकों के शपथ के दौरान एक ओर जहां एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल इमान ने हिंदुस्तान शब्द पर आपत्ति जताकर बवाल मचाया, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के एक मुस्लिम विधायक ने संस्कृत भाषा में शपथ लेकर एक मिसाल पेश की है.
कदमा से कांग्रेस के विधायक शकील अहमद ने सदस्यता की शपथ संस्कृत भाषा में ली. वैसे, 17वीं बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित सदस्यों को पांच भाषाओं हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली, उर्दू और संस्कृत में से किसी भी एक भाषा में शपथ लेने की छूट थी. सत्र के पहले दिन अधिकतर विधायकों ने हिंदी में शपथ ली तो कुछ विधायकों ने अपने क्षेत्रीय भाषा मैथिली में शपथ ली, वहीं दो विधायकों ने अंग्रेजी भाषा में शपथ ली तो विधायक शकील अहमद खां ने संस्कृत में शपथ लेकर सबको चौंका दिया.
सदन के बाहर निकलने पर उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है और यहां सभी जुबान है बोली जाती हैं संस्कृत भी भारत की भाषा है और मैंने इसीलिए संस्कृत में शपथ ली. उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा हिंदुस्तान का क्लासिक भाषा है और अगर जाहिलों को समझ में नहीं आता तो मैं क्या करूं? मैं अपने मातृभाषा ऊर्दू का भी शैदायी हूं, लेकिन मैंने क्लासिक भाषा में शपथ लेने की सोची इसमें कोई हायतौबा मचाने की कोई जरूरत नहीं है.
इतना ही नहीं विधायक शकील अहमद ने एआईएमआईएम के विधायक अख्तरुल ईमान को भी नसीहत देते हुए कहा कि वह पहले भी विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. राजद का सदस्य चुनकर आने के बाद जब उन्होंने पहली बार विधानसभा की शपथ ली थी, तब क्या उन्होंने हिंदुस्तान शब्द पर ऐतराज जताया था उन्हें याद करना चाहिए.
शकील अहमद ने अख्तरुल ईमान के बयान पर कटाक्ष किया और कहा कि भारत विविधताओं का देश है, कट्टरपंथी सोंच के लिए कोई जगह नहीं है वो चाहे भाजपा, आरएसएस या एआईएमआईएम की ही क्यों न हो. विविधताओं से बने इस देश की खूबसूरती को समझना चाहिए.