बिहार: नीतीश कुमार के सीएम बनते ही शख्स ने काट ली अपनी एक और अंगुली, जानिए क्या है ये पूरा मामला
By विनीत कुमार | Published: November 24, 2020 09:37 AM2020-11-24T09:37:19+5:302020-11-24T09:43:54+5:30
नीतीश कुमार के बड़े समर्थन माने जाने वाले जहानाबाद के एक शख्स अनिल शर्मा ने उनके सीएम बनने के बाद अपनी अंगुली काट ली है। नीतीश कुमार के सीएम बनने पर अनिल शर्मा पहले भी अपनी तीन अंगुली काट चुके हैं।
नीतीश कुमार के सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद जहानाबाद के अनिल शर्मा एक बार फिर चर्चा में हैं। अनिल शर्मा ने सोमवार को अपनी चौथी अंगुली काटकर गोरैया बाबा के मंदिर में चढ़ा दी। अनिल जहानाबाद जिले के मोदनगंज प्रखंड के वैना गांव के रहने वाले हैं। इससे पहले भी नीतीश के मुख्यमंत्री बनने पर वे ऐसी हरकत कर चुके हैं।
अनिल शर्मा का कहना है कि नीतीश उनके पसंदीदा नेता हैं और इसलिए वे उनके मुख्यमंत्री बनने पर ऐसा करते हैं। अनिल उर्फ अली बाबा की उम्र 45 साल है। अनिल इससे पहले तीन बार अपनी अंगुली नीतीश कुमार के सीएम बनने पर काट चुके हैं।
दैनिक जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार अनिल अभी चेन्नई में पौधों की देखभाल कर जीवन बसर करते हैं। चुनाव के बाद बिहार के माहौल के बारे में जानकारी मिलने पर वे सदमे में थे। उन्होंने 7 नवंबर से अन्न-पानी त्याग दिया था। 10 नवंबर को उन्होंने अन्न तब ग्रहण किया फिर नीतीश की ही सरकार बनने की जानकारी मिली।
इसके बाद 15 नवंबर को अनिल चेन्नई से 7200 रुपये में टिकट लेकर हवाई जहाज से पटना पहुंचे। पटना से वे अपने घर पहुंचे और फिर अंगुली काट ली।
पहली बार 2005 में अनिल ने काटी की अंगुली
बताया जाता है कि अनिल ने सबसे पहले 2005 में अंगुली काटी थी, जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे। इसके बाद उन्होंने अपनी दूसरी अंगुली 2010 में और फिर तीसरी 2015 में काट ली। अनिल शर्मा उर्फ अली बाबा का कहना है कि जब चुनाव में जीत के बाद सीएम बनेंगे, वे अपनी एक-एक उंगली की बलि देते रहेंगे।
बता दें कि नीतीश ने 16 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बिहार की राजनीति में नया इतिहास रचते हुए नीतीश ने दो दशक में सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है। बिहार में पिछले दिनों हुए तीन चरणों में चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिलीं हैं। इसमें नीतीश कुमार की जेडीयू को 43 जबकि बीजेपी को जेडीयू से से 31 सीट अधिक (74 सीट) हासिल हुई।
नीतीश ने सबसे पहले 2000 में प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी लेकिन बहुमत नहीं जुटा पाने के कारण उनकी सरकार सप्ताह भर चली। पांच साल बाद वह जदयू - भाजपा गठबंधन की शानदार जीत के साथ सत्ता में लौटे और 2010 में गठबंधन के भारी जीत दर्ज करने के बाद मुख्यमंत्री का सेहरा एक बार फिर से नीतीश कुमार के सिर पर बांधा गया।