बिहार: क्या महागठबंधन में सब कुछ नहीं है ऑल इज वेल? उपचुनाव पर टिकी हैं सभी की निगाहें

By एस पी सिन्हा | Published: October 30, 2022 02:35 PM2022-10-30T14:35:34+5:302022-10-30T14:40:28+5:30

बिहार में गोपालगंज और मोकामा विधानसभा उपचुनाव को लेकर महागठबंधन में सब कुछ सही नहीं चल रहा है। उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद पूर्व सीएम जीतनराम मांझी ने भी राजद प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है।

Bihar: Isn't everything all is well in the Mahagathbandhan? Eyes on by-election | बिहार: क्या महागठबंधन में सब कुछ नहीं है ऑल इज वेल? उपचुनाव पर टिकी हैं सभी की निगाहें

फाइल फोटो

Highlightsविधानसभा उपचुनाव में नीतीश कुमार द्वारा दूरी बनाने के बाद जीतनराम मांझी ने भी किया किनारानीतीश कुमार की तरह 'हम' प्रमुख मांझी ने भी स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर चुनाव प्रचार से बनाई दूरीनीतीश कुमार द्वारा गोपालगंज और मोकामा में चुनाव प्रचार में नहीं जाने की हर तरफ हो रही है चर्चा

पटना: बिहार में सत्तारूढ महागठबंधन में क्या सब कुछ ऑल इज वेल नहीं है? यह सवाल विधानसभा के दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव के दौरान उठने लगे हैं। उपचुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी राजद प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है। ऐसे में सियासी महकमे में यह चर्चा शुरू हो गई है कि क्या महागठबंधन में सबकुछ ठीक चल रहा है? मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरह ही 'हम' प्रमुख मांझी की ओर से भी स्वास्थ्य कारणों का ही हवाला दिया गया है।

ऐसे में सियासी गलियारों में अभी सबसे ज्यादा चर्चा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के चुनाव प्रचार के लिए नहीं जाने की हो रही है। दोनों ही सीटों पर महागठबंधन की ओर से राजद के प्रत्याशियों को उतारा गया है। भाजपा आरोप लगा रही है कि मोकामा में राजद उम्मीदवार नीलम सिंह बाहुबली दबंग अनंत सिंह की पत्नी हैं। वहीं, गोपालगंज में राजद ने मोहन प्रसाद गुप्ता को टिकट दिया है, जिन पर शराब तस्करी का केस लग चुका है।

मालूम हो कि जीतनराम मांझी हर मोर्चे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ नजर आ रहे हैं। जब नीतीश एनडीए में थे, तो मांझी भी उनके साथ थे। जब उन्होंने महागठबंधन से नाता जोड़ा तो मांझी भी एनडीए छोड़ महागठबंधन के साथ आ गए। यही नहीं, हाल ही में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा किया कि नीतीश कुमार फिर से भाजपा के साथ लौटेंगे, तो मांझी ने भी कह दिया कि ऐसा करने पर वे मुख्यमंत्री के साथ रहेंगे।

ऐसे में राजनीति के जानकार उपचुनाव को लेकर महागठबंधन में चल रही सियासत को अलग-अलग चश्मे से देख रहे हैं। जानकारों का मानना है कि अगर इस चुनाव में राजद दोनों सीटों से हार भी जाती है, तो सरकार को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। लेकिन अगर राजद ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज कर ली तो ऐसे हालत में राजद बिहार में सरकार बनाने की स्थिति में आ सकती है।

बता दें कि 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद 75 विधायकों के साथ राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। उपचुनाव में एक सीट पर जीत मिलने के बाद राजद के विधायकों की संख्या 76 हो गई थी। वहीं दूसरी ओर इसी साल मार्च महीने में भाजपा ने वीआईपी के तीन विधायकों को अपने खेमे में शामिल करा लिया था। जिसके बाद भाजपा 77 विधायकों के साथ बिहार की पहले नंबर की पार्टी बन गई थी। इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के चार विधायकों के पाला बदलते ही बिहार में राजद के पास विधानसभा में विधायकों की संख्या 80 हो गयी थी।

बिहार विधानसभा में विधायकों की संख्या के लिहाज से अभी राजद के पास 79, भाजपा के 77, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, वामदलों के 16, हम के 4, एआईएमआईएम के एक और निर्दलीय विधायक की संख्या एक है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि अगर राजद मोकामा, गोपालगंज और बाद में कुढ़नी की सीट पर जीत दर्ज करने में कामयाब रहती है, तो ऐसे हालात में राजद के पास कुल 82 विधायक हो जाएंगे।

कांग्रेस और वामदल तो पहले से ही महागठबंधन में हैं। अगर ये दोनों पार्टी महगठबंधन की सरकार में बने रहे तो राजद के पास विधायकों की संख्या कुल मिलाकर 116 हो जाएगी। इसके अलावे अगर तेजस्वी को कहीं जीतन राम मांझी के चार विधायक, एआईएमआईएम के एक और एक निर्दलीय ने अपना समथर्न दे दिया, तो विधायकों की कुल संख्या 122 हो जाएगी। ऐसे हालत में जदयू के लिए खतरे की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।

Web Title: Bihar: Isn't everything all is well in the Mahagathbandhan? Eyes on by-election

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