बिहार हिजाब विवादः 20 दिसंबर को डॉ नुसरत प्रवीण ज्वाइन करेंगी सरकारी नौकरी, सीएम नीतीश कुमार के समर्थन में उतरे NDA नेता, देखिए किसने क्या कहा

By एस पी सिन्हा | Updated: December 19, 2025 16:13 IST2025-12-19T16:12:06+5:302025-12-19T16:13:13+5:30

Bihar Hijab Controversy: परीक्षा केंद्र पर चेहरे की वीडियोग्राफी कराकर ही प्रवेश दिया जाए और नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान अभ्यर्थी का चेहरा समेत वीडियोग्राफी की जाए।

Bihar Hijab Controversy December 20 Dr Nusrat Praveen join government job NDA leaders come out in support CM Nitish Kumar see who said what | बिहार हिजाब विवादः 20 दिसंबर को डॉ नुसरत प्रवीण ज्वाइन करेंगी सरकारी नौकरी, सीएम नीतीश कुमार के समर्थन में उतरे NDA नेता, देखिए किसने क्या कहा

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Highlightsमतदान केंद्रों पर शत-प्रतिशत वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।लोकतंत्र की पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का उपाय बताया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धमकी दी थी।

पटनाः बिहार में हिजाब को लेकर जारी विवाद और बाहरी धमकियों को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज हो गई है। हिजाब विवाद को लेकर भाजपा के नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बचाव में खुलकर बोलने लगे हैं। इसी कड़ी में बिहार भाजपा ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने शुक्रवार को अपने एक्स हैंडल पर पोस्ट में लिखा है कि भारत सरकार और बिहार सरकार से अपील है कि बिना चेहरा देखे किसी भी स्त्री-पुरुष को परीक्षा देने, नियुक्ति पत्र लेने और किसी भी संस्थान में पढ़ाई करने या नौकरी करने की अनुमति न दी जाए।

परीक्षा केंद्र पर चेहरे की वीडियोग्राफी कराकर ही प्रवेश दिया जाए और नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान अभ्यर्थी का चेहरा समेत वीडियोग्राफी की जाए। साथ ही उन्होंने चुनाव आयोग से भी अपील किया है और निखिल आनंद ने कहा कि भविष्य में सभी मतदान केंद्रों पर शत-प्रतिशत वीडियोग्राफी और वेबकास्टिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जाए।

ताकि बिना चेहरा देखे किसी भी व्यक्ति को वोट देने की अनुमति न दी जाए। उन्होंने इसे लोकतंत्र की पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करने का उपाय बताया। पाकिस्तान से मिली धमकी को लेकर भी निखिल आनंद ने प्रतिक्रिया दी। हाल ही में पाकिस्तान के डॉन शहजाद भट्टी का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उसने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धमकी दी थी।

बिहार पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। इस पर निखिल आनंद ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धमकी देने वाले पाकिस्तान परस्त, छद्म धर्मनिरपेक्षता और भारत में शरिया कानून लागू करने के समर्थक लोग जान लें कि ओबीसी-ईबीसी और पिछड़ा समाज चुप नहीं बैठेगा।

उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार जी बिहार के जन-जन के नेता हैं और समस्त दलित-महादलित-पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के गौरव हैं। भारत को पाकिस्तान और बांग्लादेश बनाने की कोशिशों के खिलाफ देशवासियों को एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी होगी।

जबकि भाजपा के पूर्व विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने सरकारी नियुक्तियों और सार्वजनिक पदों पर पहचान से जुड़े सवाल उठाते हुए कहा कि अगर कोई महिला सरकारी कर्मचारी या डॉक्टर जैसे संवेदनशील पद पर नियुक्ति पत्र लेने जा रही है, तो उसकी पहचान स्पष्ट होनी चाहिए।

उन्होंने सवाल किया कि अगर बुर्का पहनकर नियुक्ति पत्र लिया जा रहा है, तो उसमें लगी तस्वीर उसी व्यक्ति की है या किसी और की, यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा? बचौल ने इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री ने कोई गलत काम नहीं किया है।

उन्होंने कहा कि अगर इस फैसले को लेकर कोई मुख्यमंत्री को धमकी दे रहा है, तो ऐसी धमकियां नहीं चलने वाली हैं। कानून और व्यवस्था के तहत सरकार अपना काम करेगी। बचौल ने अपने बयान में और सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि भारत कोई इस्लामिक देश नहीं है। उन्होंने कहा कि जिन्हें बुर्का से विशेष लगाव है और जो इसे हर जगह अनिवार्य मानते हैं,

उन्हें पाकिस्तान, बांग्लादेश या इराक जैसे इस्लामिक देशों में जाना चाहिए। इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। वहीं, इस मामले को लेकर मंत्री दिलीप जायसवाल ने कहा कि हिजाब हटाने वाली घटना को बेवजह तूल दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री उस महिला डॉक्टर के पिता तुल्य हैं। उन्होंने बस महिला डॉक्टर को सुझाव दिया था।

हिजाब विवाद के बीच आयुष चिकित्सक डॉ. नुसरत प्रवीण ज्वाइन करेंगी अपनी सरकारी नौकरी

हिजाब विवाद के बीच आयुष चिकित्सक डॉ. नुसरत प्रवीण को लेकर चल रही तमाम अटकलों पर अब विराम लगता दिख रहा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हिजाब खींचने के कथित विवाद पर डॉ. नुसरत परवीन ने चुप्पी तोड़ी है। राजकीय तिब्बी कॉलेज के प्रिंसिपल के डॉ. महफूजुर रहमान ने स्पष्ट किया है कि डॉ. नुसरत प्रवीण 20 दिसंबर को अपनी सरकारी नौकरी ज्वाइन करेंगी।

उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को बेवजह तूल दिया गया, जबकि वास्तविकता इससे बिल्कुल अलग है। उन्होंने बताया कि डॉ. नुसरत प्रवीण नीतीश कुमार से नाराज नहीं हैं। प्राचार्य डॉ. महफूजुर रहमान ने जानकारी देते हुए बताया कि डॉ. नुसरत प्रवीण के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया, जिससे भ्रम की स्थिति बनी।

उन्होंने यह भी साफ किया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से डॉ. नुसरत प्रवीण की किसी तरह की नाराजगी नहीं है। डॉ. महफुजुर रहमान के मुताबिक, डॉ. नुसरत प्रवीण भी अन्य आयुष चिकित्सकों की तरह ही अस्पताल में अपनी सेवाएं देंगी और जल्द ही कार्यभार संभालेंगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में इस मामले को लेकर कोई नाराजगी नहीं है।

बस कुछ अपना मतलब निकालने के लिए बेवजह मामले को तूल दिया जा रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा गलत नहीं थी, बल्कि वह एक अभिभावक के तौर पर प्यार और सम्मान का भाव था। उन्होंने मीडिया और राजनीतिक दलों पर आरोप लगाया कि महिलाओं को सशक्त बनाने वाले मुख्यमंत्री की छवि को इस मुद्दे के जरिए धूमिल करने की कोशिश की गई है।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मुस्लिम महिला डॉक्टर नुसरत परवीन के बीच हुए हिजाब प्रकरण ने बिहार की राजनीति में उबाल ला दिया था। हालांकि, राजकीय तिब्बी कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. (डॉ.) मोहम्मद महफूजुर रहमान के बयान के बाद अब इस विवाद का पटाक्षेप होता दिख रहा है।

दरअसल, पटना के राजकीय तिब्बी कॉलेज में पीजी की छात्रा नुसरत पिछले 4 दिनों से कॉलेज नहीं पहुंची हैं, जिसे उनकी 'आहत' होने की खबर से जोड़ा जा रहा था। उनके शिक्षकों का कहना है कि वह एक मेधावी छात्रा हैं और पिछले 7 वर्षों से हिजाब में ही कॉलेज आ रही हैं। हालांकि घटना के बाद वह कुछ समय के लिए शांत जरूर थीं, लेकिन अब उन्होंने अपनी नई नौकरी जॉइन करने का मन बना लिया है।

उल्लेखनीय है कि बीते दिनों डॉ. नुसरत प्रवीण को लेकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चाएं चल रही थीं। अब कॉलेज प्रशासन की ओर से आई इस सफाई के बाद स्थिति साफ हो गई है। इस बीच नीतीश सरकार ने 19 आयुष चिकित्सकों को अल्टीमेटम थमा दिया है।

दरअसल, यह अंतिम चेतावनी स्वास्थ्य विभाग ने डेढ़ साल से नियुक्ति पत्र मिलने के बावजूद योगदान नहीं करने वाले 19 आयुष चिकित्सकों को दी है। विभाग के आदेश के अनुसार, यदि ये चिकित्सक 15 दिनों के भीतर ज्वाइन नहीं करते हैं, तो उनकी नौकरी रद्द कर दी जाएगी। जानकारी के मुताबिक, इन चिकित्सकों की नियुक्ति का पहला आदेश 19 जुलाई 2024 को जारी किया गया था।

इसके बाद से वे बिना योगदान किए लगातार आवेदन देकर ज्वाइनिंग की तारीख आगे बढ़वाते रहे। अब विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि तय समय सीमा के भीतर योगदान नहीं देने पर उनकी नियुक्ति स्वतः समाप्त मानी जाएगी। जिन चिकित्सकों का योगदान अब तक लंबित है।

उनमें अभिषेक कुमार, नुसरत परवीन, संतोष विश्वास, संजीव कुमार, अनीता कुमारी, प्रशांत भारती, विजयलक्ष्मी, संतोष कुमार, प्रिया ज्योति, शमीम आलम, राजीव कुमार, अनुराधा लक्ष्मी, संतोष राय, आतिक नवाब, दीपिका सिंह, प्रियंका, दिव्यशिखा, शशि प्रकाश सिंह, राजाराम प्रसाद और शाबरा खातून शामिल है। स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि चिकित्सकीय सेवाओं की आवश्यकता को देखते हुए खाली पदों को लंबे समय तक लंबित नहीं रखा जा सकता, इसलिए अब और कोई मोहलत नहीं दी जाएगी।

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