Bihar Chunav 2025: भाजपा के द्वारा बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान की मांग किए जाने के बाद गरमायी बिहार की सियासत
By एस पी सिन्हा | Updated: October 5, 2025 21:00 IST2025-10-05T21:00:03+5:302025-10-05T21:00:38+5:30
भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शनिवार को चुनाव आयोग से आग्रह किया कि राज्य विधानसभा चुनाव को एक या दो चरणों में पूरा कराया जाए।

Bihar Chunav 2025: भाजपा के द्वारा बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान की मांग किए जाने के बाद गरमायी बिहार की सियासत
पटना: चुनाव आयोग की टीम और राजनीतिक दलों के बीच बिहार की राजधानी पटना में हुई अहम बैठक के दौरान भाजपा के द्वारा बुर्का पहनकर मतदान करने वाली महिलाओं की पहचान की सख्त जांच की मांग किए जाने पर सियासत गर्मा गई है। विधानसभा चुनाव से पहले बुर्का विवाद को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गई है। इसको लेकर भाजपा और राजद दोनों आमने-सामने हो गए हैं। राजद ने इसे वोट ध्रुवीकरण का एजेंडा बताया है। दरअसल, भाजपा के बिहार प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने शनिवार को चुनाव आयोग से आग्रह किया कि राज्य विधानसभा चुनाव को एक या दो चरणों में पूरा कराया जाए।
इसके साथ ही उन्होंने यह भी मांग की है कि मतदान केंद्रों पर बुर्का पहनकर आने वाली महिलाओं की पहचान उनके मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) के साथ ठीक से सत्यापित की जाए, ताकि केवल असली मतदाता ही वोट डाल सकें। उन्होंने कहा कि चुनाव प्रक्रिया को अनावश्यक रूप से लंबा नहीं खींचा जाना चाहिए। साथ ही कहा है चुनाव की घोषणा और मतदान के बीच की अनिवार्य 28 दिनों की अवधि से अधिक देरी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि अगर अगले कुछ दिनों में चुनाव की घोषणा होती है, तो मतदान तीन या चार नवंबर से शुरू किया जा सकता है। ऐसे में भाजपा की यह मांग राजद को रास नहीं आई। पार्टी के लोकसभा नेता अभय कुशवाहा, प्रवक्ता चितरंजन गगन और मुकुंद सिंह ने इस मुद्दे पर चुनाव आयोग से मुलाकात की।
कुशवाहा ने बुर्का विवाद को राजनीतिक साजिश करार देते हुए कहा कि हाल ही में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) पूरा हुआ है और सभी मतदाताओं को फोटोयुक्त पहचान पत्र मिल रहे हैं। ऐसे में पहचान कोई बड़ी चुनौती नहीं है, बल्कि भाजपा इस बहाने अपना एजेंडा थोपने की कोशिश कर रही है।
वहीं, इसी मसले पर भाजपा प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा कि अगर हम नकाब हटाने की बात कह रहे हैं तो परेशानी क्या है? बोगस (फर्जी) वोट करवाना चाहते हैं क्या? क्या बुर्का पहन के पुरुष आ जाएं वोट करने। उन्होंने कहा कि मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) से मिलान कर वास्तविक मतदाताओं की ही वोटिंग सुनिश्चित की जाए।
अजय आलोक ने कहा कि यह कोई सांप्रदायिक मुद्दा नहीं, बल्कि पारदर्शी चुनाव की दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने महिला बूथों की संख्या बढ़ाने की भी वकालत की। जबकि राजद नेताओं का कहना है कि भाजपा चुनाव से पहले जानबूझकर धार्मिक प्रतीकों को मुद्दा बना रही है ताकि अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा सके।
पार्टी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि भाजपा अल्पसंख्यक महिलाओं को निशाना बनाकर वोट बैंक को तोड़ने की कोशिश कर रही है। चुनाव प्रक्रिया पहले से ही पारदर्शी है, यह विवाद केवल चुनावी ध्रुवीकरण के लिए खड़ा किया जा रहा है। ऐसी में चुनाव से पहले ‘बुर्का’ ने सियासी माहौल को गर्मा दिया है।