Bihar Electiosn 2025: चुनाव से पहले कांग्रेस ने दिखाई लालू यादव को अपनी ताकत, दावत-ए-इफ्तार से बनाई दूरी
By एस पी सिन्हा | Updated: March 25, 2025 16:22 IST2025-03-25T16:20:59+5:302025-03-25T16:22:16+5:30
जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज कुमार ने शायराना अंदाज में कहा है कि इफ्तार की शान गई, जब साथी कन्नी काट गए। कांग्रेस भी अब दूर खड़ी, रिश्ते सारे टूट गए।

Bihar Electiosn 2025: चुनाव से पहले कांग्रेस ने दिखाई लालू यादव को अपनी ताकत, दावत-ए-इफ्तार से बनाई दूरी
पटना:बिहार विधानसभा चुनाव को देखते हुए दावत-ए-इफ्तार की सियासत के बीच राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव की ओर से दी गई इफ्तार पार्टी में महागठबंधन के सहयोगियों के नदारद रहने से बिहार में सियासत गरमा गई है। सबसे दिलचस्प बात तो यह रही कि इफ्तार पार्टी में न तो कांग्रेस के किसी बड़े नेता की उपस्थिति रही और न ही वीआईपी के मुकेश सहनी ही नजर आये। अब राजद इस पर जदयू ने तंज कसा है। जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान पार्षद नीरज कुमार ने शायराना अंदाज में कहा है कि इफ्तार की शान गई, जब साथी कन्नी काट गए। कांग्रेस भी अब दूर खड़ी, रिश्ते सारे टूट गए।
उन्होंने कहा कि लालू यादव ने इफ्तार की दावत तो दी, मगर कांग्रेस ने तो आकर भी न देखा ना सहयोगी, ना परिवार, कोई आपके “कर्मों” का भागीदार बनने को तैयार नहीं। किया पाप जब सिर चढ़ बोला, साथी सारे छोड़ गए। बेटा भी अब दूर खड़ा है, पोस्टर से भी नाम गए। बता दें कि सोमवार को लोजपा(आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान और लालू यादव ने अलग-अलग इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। लालू के दावत-ए-इफ्तार में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खां के साथ ही बड़ी संख्या में रोजेदार शामिल हुए। इसका आयोजन विधान पार्षद अब्दुल बारी सिद्दीकी के सरकारी आवास पर किया गया।
इस मौके पर मेजबान की भूमिका में लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव और अब्दुलबारी सिद्दीकी थे। लेकिन महागठबंधन के सहयोगी कांग्रेस के नेता और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के नहीं पहुंचने से सियासी गलियारों में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस ने एक तरह से लालू यादव की इफ्तार पार्टी का बहिष्कार कर दिया।
कांग्रेस की ओर से केवल विधायक प्रतिमा दास दावत ए इफ्तार में शिरकत करने पहुंची थीं। कोई आला नेता वहां मौजूद नहीं था। जबकि सभी दिग्गज नेता पटना में मौजूद थे। एक दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बहिष्कार का जब कुछ संगठनों ने ऐलान किया था, तब लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव ने उन संगठनों का समर्थन किया था। अब कांग्रेस ने ही लालू प्रसाद यादव के दावत- ए- इफ्तार का बहिष्कार कर दिया। हालांकि इस मौके पर वाम दलों के नेता भी मौजूद रहे। लेकिन कांग्रेस के न तो प्रदेश अध्यक्ष नजर आए और न ही प्रदेश प्रभारी।
प्रदेश प्रभारी तो अपनी नियुक्ति के डेढ़ महीने बाद भी लालू प्रसाद यादव से मिल नहीं पाए हैं। ऐसे मे कहा जा रहा है कि दावत- ए- इफ्तार में न जाकर कांग्रेस ने अपने तेवर दिखा दिए हैं। साथ ही यह भी जाहिर कर दिया है कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। बिहार कांग्रेस को अपने इशारों पर चलाने वाले लालू प्रसाद यादव को ही अब कांग्रेस आंख दिखा रही है।
कांग्रेस अब खुद को मजबूत करने की कोशिश कर रही है। हो सकता है कि ऐसा करके कांग्रेस राज्य में राजद का पिछलग्गू होने का दाग धुलना चाहती है। इसलिए पहले प्रदेश प्रभारी बदले गए। राज्य कांग्रेस की राजनीति में कन्हैया कुमार की एंट्री हुई और उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष भी चलता कर दिए गए। और तो और पप्पू यादव अब मुख्यमंत्री बनने के सपने देखने लगे हैं। यह सब कांग्रेस को अंदरूनी तौर पर मजबूत होने का संकेत है।