बिहार शिक्षा विभागः नियोजित शिक्षकों के प्रदर्शन पर रोक, भर्ती नियमों का विरोध करने पर कार्रवाई, शिक्षक संघ ने जताई नाराजगी
By एस पी सिन्हा | Published: May 17, 2023 05:25 PM2023-05-17T17:25:35+5:302023-05-17T17:26:59+5:30
Bihar Education Department: बिहार सरकार ने पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों को सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में भर्ती के लिए नए नियमों के खिलाफ किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी।
पटनाःबिहार में शिक्षा विभाग ने नियोजित शिक्षकों को सरकार द्वारा संचालित स्कूलों में भर्ती के लिए नए नियमों के खिलाफ किसी भी विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी।
विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने मंगलवार को जिला शिक्षा अधिकारियों को भेजे गए एक पत्र में कहा है कि राज्य के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियुक्त शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जाए।
जो राज्य सरकार द्वारा हाल में सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाए गए नए नियमों के खिलाफ किसी विरोध प्रदर्शन का आयोजन करते हैं या उसमें भाग लेते हैं। पत्र में कहा गया कि मीडिया में ऐसी खबरें आई हैं कि सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नए नियमों के खिलाफ शिक्षक विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं।
इसबीच शिक्षा विभाग का निर्देश पर बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह एवं महासचिव तथा पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने बुधवार को बिहार सरकार से मांग की है कि दीपक कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव, शिक्षा विभाग के पत्रंक 116 दिनांक 16 मई 2023 जो संविधान विरोधी आदेश है को तात्कालिक प्रभाव से वापस किया जाय।
उन्होंने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद-19 में देश के प्रत्येक नागरिक को संगठन बनाने और अपने सदस्यों के हितों की रक्षा करने के लिए शांतिपूर्वक सत्याग्रह, धरना प्रदर्शन का मौलिक अधिकार है। यदि सरकार शिक्षकों के विरूद्ध कोई नियमावली अथवा कानून बनाती है तो उसका विरोध करना भारत के सभी नागरिकों सहित शिक्षकों का भी मौलिक अधिकार है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का विश्वास शांतिपूर्ण, अहिंसक आन्दोलन में रहा है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की कर्मभूमि बिहार में शिक्षक उनके अमोघ अस्त्र अहिंसा एवं सत्याग्रहरुपी हथियार का इस्तेमाल करते हैं। दण्डात्मक कारवाई करना उसके मौलिक अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को डरा-धमकाकर उसके मौलिक अधिकार को नहीं छीना जा सकता है।
बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ मांग करता है कि बिना शर्त सभी शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाय। इससे शिक्षा में और भी बेहतरी लायी जा सकती है। शिक्षकों को डराने-धमकाने से और भी लड़ाई तेज होगी और उससे उत्पन्न गंभीर समस्या की सारी जबाबदेही सरकार की होगी।
इसलिए सरकार तात्कालिक प्रभाव से संविधान विरोधी आदेश को वापस करे। बता दें राज्य मंत्रिमंडल ने 2 मई को बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) के माध्यम से प्राथमिक, मध्य और उच्च विद्यालयों के लिए 1.78 लाख शिक्षकों की भर्ती के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
मंत्रिमंडल द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के एक दिन बाद नियुक्तियों के तौर-तरीकों को लेकर विरोध शुरू हो गया। नियुक्तियों के तौर-तरीकों पर एतराज जताते हुए शिक्षकों के कई संघों ने इसे पंचायती राज संस्थाओं के माध्यम से नियुक्त 3.5 लाख शिक्षकों के खिलाफ बताया था।