तेजस्वी यादव का अमित शाह से सवाल- बिहार आने का मकसद क्या है?
By सतीश कुमार सिंह | Published: September 22, 2022 05:48 PM2022-09-22T17:48:51+5:302022-09-22T17:55:04+5:30
अमित शाह के आगामी बिहार दौरे पर बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कई सवाल खड़े किए हैं। यादव ने कहा कि आने का मकसद क्या है।
पटनाः केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के पूर्व अध्यक्ष अमित शाह 23 और 24 सितंबर को बिहार का दौरा करने वाले हैं।अमित शाह के आगामी बिहार दौरे पर बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कई सवाल खड़े किए हैं। यादव ने कहा कि आने का मकसद क्या है।
बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि अमित शाह आ रहे हैं तो बताइए कि विशेष राज्य का दर्ज़ा देंगे या नहीं? एक बात तो सब के मन में है कि आने का मकसद क्या है? समाज में जहर बोना ही आने का मकसद है। अमित शाह आकर यही बोलेंगे कि जंगल राज आ गया है। मुसलमानों के खिलाफ बोलेंगे और हिंदुओं को भड़काएंगे, बस इतना ही करते हैं।
We want to ask Union Home Minister Amit Shah - will Centre give special status to Bihar? What's the motive of his visit here? When he comes here he'll say that there's jungle raj in Bihar, will speak against Muslims & incite Hindus, that's all they do: Bihar Dy CM Tejashwi Yadav pic.twitter.com/RNSqxBCxMM
— ANI (@ANI) September 22, 2022
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 23 सितंबर को सीमांचल के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। बिहार में हाल में हुए सियासी उलटफेर के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सीमांचल के रास्ते ही अमित शाह पूरे बिहार में मिशन-2024 का आगाज करेंगे। भाजपा सीमांचल में सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा दमदार तरीके से उठा सकती है।
सीमांचल में बिहार के किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया सहित चार सीट
सीमांचल में बिहार के किशनगंज, कटिहार, अररिया, पूर्णिया चार लोकसभा क्षेत्र सहित पश्चिम बंगाल में कूच बिहार, अलीपुर द्वार, सिलीगुड़ी, दार्जिलिंग, दिनाजपुर, मालदा के इलाकों को जोड़कर एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का मुद्दा भी आने वाले दिनों में उठता दिख सकता है।
जानकारों के अनुसार यह एक प्रकार से बिहार से पश्चिम बंगाल तक के इस सीमाई और संवेदनशील इलाके को अलग तरीके से पेश कर राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश भी हो सकती है। अब तक अल्पसंख्यक समुदाय को राजद और जदयू का परमपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है।
बिहार में 40 में से 39 लोकसभा की सीटों पर जीत हासिल की थी
इसलिए अमित शाह सबसे पहले इस क्षेत्र से राजनीतिक रणभेरी बजाकर नीतीश और तेजस्वी यादव को कमजोर करने का बड़ा संदेश देना चाहते हैं। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में 40 में से 39 लोकसभा की सीटों पर जीत हासिल की थी। जिसमें 16 सीटें जदयू के खाते में रहीं। भाजपा एक बार फिर से वही करिश्मा दोहराना चाहती है।
वहीं नीतीश और तेजस्वी पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि 2024 के लोकसभा में बिहार में भाजपा को खाता खोलना मुश्किल हो जाएगा। भाजपा इस चुनौती को अभी से महसूस कर रही है। अमित शाह के इस दौरे से हिंदू मतदाताओं की गोलबंदी की दिशा में भी एक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
सीमांचल के दौरे के दौरान अमित शाह और भाजपा नेताओ की बयानबाजी को देखना बेहद खास होगा कि वे क्या बोलते हैं? भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बिहार में मिशन 35 का टारगेट रखा है। अब नीतीश कुमार के बगैर जब भाजपा मैदान में उतरेगी तो भाजपा ने भी अपनी तैयारी उस ओर शुरू कर दी है।