बिहार: क्वारंटाइन सेंटर में लगातार हो रही मौतों ने सरकार की व्यवस्था पर खड़े किये सवाल, मृतकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि भी नहीं

By एस पी सिन्हा | Published: May 12, 2020 04:39 PM2020-05-12T16:39:03+5:302020-05-12T16:39:03+5:30

नियमानुसार बाहर से आने के बाद इन आप्रवासियों को  क्वारंटाइन सेन्टर में लगभग 21 दिनों के लिए रखा जा रहा है. हालांकि इनके आने के बाद से बिहार में कोरोना संक्रमण की संख्या तेजी से बढ़ी है.

Bihar Continuous deaths in quarantine center raise questions on government system, corona infection among the dead is not even confirmed | बिहार: क्वारंटाइन सेंटर में लगातार हो रही मौतों ने सरकार की व्यवस्था पर खड़े किये सवाल, मृतकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि भी नहीं

बिहार: क्वारंटाइन सेंटर में लगातार हो रही मौतों ने सरकार की व्यवस्था पर खड़े किये सवाल, मृतकों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि भी नहीं

Highlightsगोह प्रखंड के वात्सल्य बिहार पब्लिक स्कूल में एक 60 वर्षीय व्यक्ति रामस्वरूप मेहता की मौत हुई.मृतक की भी कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई.

पटना: बिहार में  क्वारंटाइन सेन्टर में लगातार हो रही मौतों ने सरकार की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. दरअसल, क्वारंटाइन सेन्टर बाहर से आने वाले आप्रवासी मजदूरों को रखा जा रहा है. तीन अलग अलग जगहो पर तीन आप्रवासी मजदूर की  क्वारंटाइन सेन्टर में ही मौत हो गई है. इन मौतों के बाद प्रशासन में हडकंप मचा हुआ है. 

यहां बता दें कि बाहर काम कर रहे मजदूरों को वापस बिहार आने के बाद उन्हे उनके जिले में  क्वारंटाइन सेन्टर में रखा जा रहा है. इनके खाने- पीने और रहने के लिए  क्वारंटाइन सेन्टर में ही व्यवस्था किया गया है. लेकिन  क्वारंटाइन सेन्टर में व्यस्था ठीक नही होने और खानेपीने को लेकर आये दिअ हंगामे की खबर सुर्खियां बनती जा रही हैं. 

नियमानुसार बाहर से आने के बाद इन आप्रवासियों को  क्वारंटाइन सेन्टर में लगभग 21 दिनों के लिए रखा जा रहा है. हालांकि इनके आने के बाद से बिहार में कोरोना संक्रमण की संख्या तेजी से बढी है. लेकिन अब  क्वारंटाइन सेन्टर में लगातार हो रही मौतों के यहां किए गए व्यावस्था को लेकर अब कई सवाल खडे होने लगे हैं. पहली घटना बिहार के मधुबनी के खुटोना प्रखंड के उत्क्रमित हाई स्कूल सिकटीयाही स्थित क्वारंटाइन सेन्टर में घटी.

यहां एक व्यक्ति की मौत हो गई है. उसके परिवार वालों के अनुसार इलाज के अभाव में मौत हुई है. मृतक चंडीगढ से साइकिल से अपने गांव लौटा था और पिछले दस दिन से इस  क्वारंटाइन सेन्टर में था. परिवार का आरोप है कि शनिवार दोपहर से उनकी तबियत ख़राब हुई. लेकिन इलाज ढंग से ना होने के कारण उनकी मौत हुई. 

दूसरी घटना औरंगाबाद जिले की है, जहां गोह प्रखंड के वात्सल्य बिहार पब्लिक स्कूल में एक 60 वर्षीय व्यक्ति रामस्वरूप मेहता की मौत हुई. मृतक भी प्रवासी मज़दूर था और कुछ दिन पहले घर लौटा था. हालांकि कोरोना की उसकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई. इसके अलावा तीसरी मौत भागलपुर में मेडिकल कॉलेज में हुई. जब हैदराबाद से लौट एक श्रमिक को तबियत ख़राब होने पर भर्ती कराया गया था. 

मृतक की भी कोरोना जांच रिपोर्ट नेगेटिव आई. यहां बता दें कि बिहार सरकार लगातार कह रही है कि प्रवासियों को खाने, रहने और नहाने का सभी तरह की व्यवस्था की गई है. लेकिन जिस तरह से लगातार  क्वारंटाइन सेन्टर में हंगामा की खबर आ रही हैण, वह हालात को बयां करने के लिए काफी है. हद तो तब हो गई है, जब तीन  क्वारंटाइन सेन्टर में एक-एक कर तीन मजदूरों ने अपनी दम तोड़ दिए. जबकि उन्हें कोरोना की कोई पुष्टी नही हुई. ऐसे में अब सरकार की व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह लगने लगे हैं.
 

Web Title: Bihar Continuous deaths in quarantine center raise questions on government system, corona infection among the dead is not even confirmed

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