बिहार कांग्रेसः मल्लिकार्जुन खड़गे की रैली में नहीं जुटी भीड़, खाली रह गई कुर्सियां?, जिला अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय पर गाज
By एस पी सिन्हा | Updated: April 21, 2025 16:31 IST2025-04-21T16:30:37+5:302025-04-21T16:31:44+5:30
महासचिव केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, सह प्रभारीगण, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार, विधानमंडल दल नेता डॉ. शकील अहमद खान और विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता डॉ. मदन मोहन झा शामिल हैं।

file photo
पटनाः कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बस्तर दौरे के क्रम में आयोजित सभा में भारी अव्यवस्था और भीड़ की कमी के कारण पार्टी नेतृत्व ने कड़ा निर्णय लेते हुए जिला अध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार पांडेय को तत्काल प्रभाव से पद से निलंबित कर दिया है। पटना स्थित सदाकत आश्रम से जारी पत्र में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय सचिव उमेश प्रसाद सिंह ने कहा कि सभा के दौरान तैयारियों में घोर लापरवाही और संगठनात्मक समन्वय की पूर्णत: अनुपस्थिति देखी गई, जिससे पार्टी की साख को गंभीर नुकसान पहुंचा। पार्टी नेतृत्व की नाराजगी केवल जिला अध्यक्ष तक सीमित नहीं रही। बक्सर के दोनों कांग्रेस विधायकों की निष्क्रियता भी कटघरे में आ गई है। संगठन की नजर में वे न केवल भीड़ जुटाने में नाकाम रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूती देने में भी विफल साबित हुए हैं।
सूत्रों की मानें तो इन दोनों विधायकों के टिकट पर अब संकट के बादल मंडराने लगे हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई है। प्रदेश कांग्रेस की ओर से जारी यह पत्र पार्टी के शीर्ष नेताओं को भी भेजा गया है, जिनमें महासचिव केसी वेणुगोपाल, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, सह प्रभारीगण, प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश कुमार, विधानमंडल दल नेता डॉ. शकील अहमद खान और विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता डॉ. मदन मोहन झा शामिल हैं। इससे स्पष्ट है कि यह मामला केवल जिला स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व इसे गंभीरता से ले रहा है।
बक्सर जिला कांग्रेस में इस कार्रवाई के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। संगठन अब ऐसे नेतृत्व की तलाश में है, जो न केवल सक्रिय हो बल्कि आम जनता के बीच गहरी पकड़ भी रखता हो। पार्टी सूत्रों के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए संगठनात्मक बदलावों की यह शुरुआत है, जो आने वाले समय में और भी गहराई से देखने को मिल सकती है।
बहरहाल बक्सर की घटना ने यह साफ कर दिया है कि कांग्रेस नेतृत्व अब प्रदर्शन और ज़मीनी सक्रियता के आधार पर निर्णय ले रहा है। खड़गे की सभा भले ही अपेक्षा पर खरी न उतरी हो, लेकिन इसके माध्यम से पार्टी ने यह स्पष्ट संदेश जरूर दे दिया है कि अब लापरवाही की कोई गुंजाइश नहीं है।