बिहारः सीएम नीतीश ने लगाई तबादलों पर रोक, मंत्री रामसूरत राय ने दी इस्तीफे की धमकी, जानिए पूरा मामला
By एस पी सिन्हा | Published: July 10, 2022 03:36 PM2022-07-10T15:36:26+5:302022-07-10T15:37:14+5:30
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 30 जून को 149 सीओ, 27 सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी और दो चकबंदी पदाधिकारियों के हुए तबादलों में अनियमितता को देखते हुए उसपर रोक लगा दी है.
पटनाः बिहार के राजस्व एवं भूमि विभाग के मंत्री रामसूरत राय ने बीते दिनों बड़े पैमाने पर विभागीय अधिकारियों का तबादला किया गया था. इस तबादले की पूरी प्रक्रिया पर मुख्यमंत्री की ओर से तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है.
यह दूसरा ऐसा मामला है जब राजस्व एवं भूमि विभाग में हुए तबादले पर मुख्यमंत्री कार्यालय ने रोक लगाई है. मुख्यमंत्री कार्यालय के द्वारा तबादले पर रोक लगाये जाने के बाद मंत्री रामसूरत राय की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से ठन गई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले से रामसूरत राय इस कदर नाराज हो गए हैं कि उन्होंने मंत्री पद तक छोड़ने की धमकी दे डाली है.
मंत्री रामसूरत राय ने कहा है कि उनके विभाग में भू-माफियाओं की चलती है. भू-माफिया जो चाहते हैं, वही करवाते हैं. अगर उनकी बात मान लेते, तो तबादले की अधिसूचना रद्द नहीं होती. उन्होंने इस्तीफे की पेशकश तक कर दी है. रामसूरत राय ने साफ शब्दों में कह दिया है कि मंत्री पद किसी की बपौती नहीं होती है. राजनीति किसी के बाप-दादा की अर्जित की हुई संपति नहीं है.
इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मेरी शुभकामनाएं हैं, कोई लोग भी आये और इस विभाग को चलाये. रामसूरत राय ने कहा कि अपने समझ से तबादला किया हूं, अब मुख्यमंत्री हमारे मुखिया हैं, उनका विषेशाधिकार है. हम सभी को माननीय मुख्यमंत्री के निर्णय को मानना है. लेकिन आगे से जैसे हम जनता दरबार लगाते थे, लोगों के बीच जाते थे, अब नहीं जायेंगे.
जनता को जहां जाना है जाये. उन्होंने कहा कि ये माफिया और भ्रष्टाचारी मुझे बदनाम करना चाहते हैं और नहीं चाहते कि मैं मंत्री बना रहूं. ऐसी स्थिति में अगर मंत्री स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर सकता तो मंत्री बने रहने से क्या फायदा है? मेरे मंत्री बने रहने का औचित्य नहीं है.
दरअसल, यह नाराजगी इसलिए हुई है क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 30 जून को 149 सीओ, 27 सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी और दो चकबंदी पदाधिकारियों के हुए तबादलों में अनियमितता को देखते हुए उसपर रोक लगा दी है. जिससे विभागीय मंत्री रामसूरत राय आग बबूला हो गए हैं.
मुख्यमंत्री ने इस तबादले पर रोक लगाते हुए इसकी समीक्षा के आदेश दिये थे. आरोप है कि तबादलों में बडे़ पैमाने पर पैसे का खेल हुआ है. कुछ ऐसे तबादले भी हो गए थे जिनका दो साल भी पूरा नहीं हुआ था. मुख्यमंत्री के इस आदेश से मंत्री रामसूरत राय की जमकर किरकिरी हुई है. जिससे मंत्री रामसूरत राय खफा हो गये हैं.
सीओ के लिए तीन साल का कार्यकाल तय है, लेकिन समय से पहले ही उनका तबादला कर दिया गया. तबादलों में बडे़ पैमाने पर जातिवाद होने का भी आरोप लगा. वैसे मंत्री रामसूरत राय पहले से ही विवादों में रहे हैं. पिछले साल भी उनके विभाग में हुए तबादलों पर गंभीर सवाल उठे थे, लेकिन इस बार सीधे मुख्यमंत्री ने दखल दिया है.
इससे पहले भी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में हुए तबादलों को लेकर बवाल हुआ था. पिछली सरकार में भी यह विभाग भाजपा के पास था, तब राम नारायण मंडल मंत्री थे. राम नारायण मंडल के समय में भी सीओ के तबादले के आदेश को रद्द कर दिया गया था. तब भी तबादला में बडे़ पैमाने पर गड़बड़ी की शिकायत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पास पहुंची थी.
इसबीच रामसूरत राय के बयान पर जदयू प्रवक्ता निखिल मंडल ने जवाब दिया है. निखिल मंडल ने बयान जारी कर कहा है कि जो नियुक्त करता है वह समीक्षा की भी अधिकार रखता है. उन्होंने रामसूरत राय के बयान की ओर इशारा करते हुए कहा कि ये किस माफिया की बात कर रहे हैं?
पिछले 16-17 सालों से ये माफिया जेल के सलाखों के पीछे सड़ रहे हैं. बडे़-बडे़ माफिया जेल में बंद है. उन्होंने कहा कि ठीक है ये जनप्रतिनिधि की सेवा कर रहे हैं. लेकिन बिहार की जनता के सेवा का क्या? जिसके लिए हमें ये मैंडेट मिला है.